गर्दन का आकार कैसे देता है चेतावनी (सौ. डिजाइन फोटो)
New Research Study: अच्छी सेहत के लिए हमें जिस तरह से खानपान पर ध्यान देना चाहिए वहीं पर हमारे शरीर के बदलाव भी कभी-कभी बीमारी का अलर्ट दे ही देते है। हाल ही में एक स्टडी में चौंका देने वाला खुलासा आया है। इसके अनुसार बताया गया कि, गर्दन का आकार भी हृदय रोग, मधुमेह और नींद संबंधी बीमारी को लेकर चेतावनी देता है। इतना ही नहीं मोटी गर्दन हेल्दी बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है। चलिए विस्तृत रूप से जानते है स्टडी के बारे में।
यहां पर गर्दन की गोलाई यानी गर्दन के चारों ओर की माप, जो आमतौर पर इंच या सेंटीमीटर में ली जाती है, शरीर में फैट के जमाव, विशेषकर ऊपरी शरीर में जमा वसा, का संकेत देती है। रिसर्च के मुताबिक मोटी गर्दन हृदय रोग, नींद संबंधी बीमारियों और डायबिटिज का संकेत देती है। इसे लेकर किंग्स्टन विश्वविद्यालय के डॉ. अहमद एल्बेदीवी और डॉ. नादिन वेहिदा ने ‘द कन्वर्सेशन’ में रिसर्च की जानकारी दी है। इसके अनुसार, बीएमआई के बढ़ने का कारण कई बार मोटापे से ग्रसित नहीं होता है। यह अक्सर बॉडी बिल्डर के मामले में होता है।
यहां पर रिसर्च के अनुसार, गर्दन से जुड़े कई संकेत बीमारी होने के अलर्ट की ओर इशारा करते है। गर्दन की गोलाई यानी गर्दन के चारों ओर की माप, जो आमतौर पर इंच या सेंटीमीटर में ली जाती है, शरीर में फैट के जमाव, विशेषकर ऊपरी शरीर में जमा वसा, का संकेत देती है। रिसर्च के मुताबिक मोटी गर्दन हृदय रोग, नींद संबंधी बीमारियों और डायबिटिज का संकेत देती है। शोध में पाया गया है कि जिन लोगों की गर्दन ज्यादा मोटी होती है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने ये भी कहा है कि हर व्यक्ति के लिए इसका माप अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से पुरुषों के लिए 38 से.मी. से कम (लगभग 15 इंच) और महिलाओं के लिए 35 से.मी. या उससे कम (लगभग 13.8 इंच) होना चाहिए।
यहां पर स्टडी में यह भी कहा गया कि, यदि आपकी गर्दन की माप इससे अधिक है, तो यह संकेत हो सकता है कि शरीर में फैट असंतुलित रूप से जमा हो रहा है। 2022 में, शोधकर्ताओं ने मोटी गर्दन को एट्रियल फिब्रिलेशन से जोड़ा। यह एक ऐसी स्थिति है जो अनियमित दिल की धड़कन का कारण होती है। इससे थकान बढ़ती है, स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है, रक्त के थक्के जमते हैं, और हृदय गति रुकने से मौत भी हो सकती है।
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इस समस्या से बचने के लिए आपको बचाव के तरीकों पर ध्यान देने की जरूरत है।स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और अच्छा खाएं। नियमित व्यायाम करें, विशेषकर कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर ध्यान दें। स्लीप एप्निया या खर्राटों जैसी समस्याओं को नजरअंदाज न करें और गर्दन के आकार को मापते रहें, क्योंकि सेहत की कुंजी आपकी गर्दन में भी छुपी है।
आईएएनएस के अनुसार