प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: AI)
Digital Fasting Benefits News In Hindi: उपवास (व्रत) रखने का शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसके द्वारा पाचन तंत्र को आराम मिलता है। वजन नियंत्रण में आता है। प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और मानसिक शांति मिलती है। आध्यात्मिक रूप से यह शरीर और मन की शुद्धि करता है। अब वक्त आ गया है कि एक दिन ‘डिजिटल उपवास’ भी किया जाए। मोबाइल, इंटरेनट सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट पर बढ़ती निर्भरता को कम करने की दिशा में एक पहल कारगर साबित हो सकती है।
मोबाइल फोन की ‘लत’ से मानसिक और शारीरिक नुकसान होता है जिसमें मानसिक तनाव और चिंता, आंखों में दर्द और धुंधली दृष्टि, नींद में कमी, शारीरिक दर्द जैसे गर्दन में अकड़न, ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल, शारीरिक गतिविधि में कमी से वजन बढ़ना और सामाजिक जीवन में अकेलापन शामिल है।
इसके अलावा यह एकाग्रता कम करता है। स्कूल या काम पर प्रदर्शन प्रभावित करता है और साइबर अपराध का खतरा भी बढ़ाता है। तमाम तरह के परिणामों के बाद भी बच्चों से लेकर वृद्ध तक मोबाइल के अधिन हो चुके हैं। पढ़ाई, कामकाज के अलावा भी जब भी वक्त मिला तो लोग मोबाइल का उपयोग ‘टाइम पास’ के लिए करते हैं। यानी मोबाइल पर निर्भरता बढ़ती ही जा रही है।
डॉक्टरों की मानें तो मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। रोजाना लगातार एक घंटे या उससे ज्यादा समय तक मोबाइल देखने से सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों के लिए हानिकारक होती है। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से ड्राई आई सिंड्रोम, आंखों में जलन, धुंधला दिखना और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा आंखों की रोशनी भी कम हो सकती है।
लगातार मोबाइल चलाने से आंखों पर दबाव पड़ता है जिससे सिरदर्द या माइग्रेन की समस्या हो सकती है। रात को सोने से पहले मोबाइल इस्तेमाल करने से शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है। दरअसल, यह अच्छी नींद के लिए जरूरी होता है। ऐसे में आपको अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
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मेडिकल कॉले के मनोचिकित्सक डॉ. मनीष ठाकरे का कहना है कि डिजिटल उपवास वक्त की जरूरत बन गई है। सप्ताह में एक दिन या फिर दिन भर में कम से एक घंटा या दो घंटा मोबाइल से दूर रहने की आदत बनाएं। इससे टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम होगी। कामकाज के दौरान आस-पास के लोगों से बातचीत होगी। सेल्फ कंट्रोल बढ़ेगा। मन विचलित नहीं होगा। यह ‘प्रयोग’ स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होगा।
अन्य उपवास की तरह ही डिजिटल उपवास भी जरूरी हो गया है। इससे मोबाइल का उपयोग कम होगा। आत्म चिंतन करने का मौका मिलेगा। बच्चों व किशोरों में मैदानी खेल के प्रति रुचि बढ़ेगी और व्यायाम होगा। उपयोग करने की धीरे-धीरे आदत बढ़ेगी। पढ़ाई पर अच्छा असर हगा। साथ ही परिवार, मित्र और स्कूल में इमोशनल बांडिंग बढ़ेगी।