आंखों के सामने महसूस करते है कभी-कभी अंधेरा (सौ.सोशल मीडिया)
Eye Health Problem: शरीर में कभी-कभी ऐसे बदलाव नजर आते है जो किसी बड़ी और गंभीर समस्या की ओर इशारा करते है। आप कभी -कभी चलते-फिरते या अचानक उठते समय महसूस करते हैं कि हमारे सामने सब कुछ धुंधला या फिर अंधेरा छाने लग रहा है। यह किन कारणों से होता है और क्यों इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारक हो सकते है। चलिए जानते है इसके बारे में।
आंखों के सामने अचानक अंधेरा छा जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसके आम कारणों में से एक ‘ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन’ की समस्या होती है। जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं या लेटे रहते हैं और अचानक खड़े होते हैं, तो शरीर में रक्त का दबाव तुरंत सामान्य स्तर पर नहीं पहुंच पाता। ऐसे में खून जब मस्तिष्क तक कम पहुंचता है, तो आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है, सिर घूमता है और कभी-कभी चक्कर आने लगते हैं। यह स्थिति ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन की हो सकती है।इसमें अगर ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन की समस्या ज्यादा देर तक रहता है, तो अस्थायी बेहोशी भी हो सकती है।
यह स्थिति अक्सर स्वस्थ लोगों में भी देखने को मिलती है, खासकर गर्मियों में लंबी दौड़ के बाद या अगर आप लंबे समय तक पानी नहीं पीते। इसे रोकने का आसान तरीका है कि खड़े होने से पहले धीरे-धीरे शरीर को तानें और गहरी सांस लें।
आंखों के सामने अंधेरा छाने के कारणों में एक कारण माइग्रेन की समस्या से भी हो सकता है। इसमें केवल माइग्रेन का संबंध केवल सिरदर्द तक नहीं होता है बल्कि कई लोग माइग्रेन शुरू होने से पहले आंखों के सामने चमकती हुई लकीरें, फ्लैश या अस्थायी अंधेरा महसूस करते हैं। यह आमतौर पर कुछ मिनटों तक रहता है और फिर धीरे-धीरे सामान्य दृष्टि लौट आती है। कुछ मामलों में यह संकेत किसी गंभीर समस्या का भी हो सकता है। ट्रांजिएंट इस्कीमिक अटैक (मिनी-स्ट्रोक) मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह अस्थायी रूप से रोक देता है। इसके दौरान शरीर के किसी भी हिस्से में कमजोरी, सुन्नपन या बोलने में कठिनाई भी महसूस हो सकती है। समय पर इलाज न मिलने पर दिक्कत बड़ी हो सकती है।
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आंखों के सामने अंधेरा छाने की वजह गंभीर स्थिति रेटिनल डिटैचमेंट है। इसमें आंख की रेटिना अपनी जगह से हिलने लगती है। अचानक आंखों के सामने फ्लोटर्स, चमकदार रोशनी या किसी एक साइड पर पर्दा गिरने जैसा अनुभव हो सकता है। आंखों के लिए यह एक इमरजेंसी स्थिति है, क्योंकि अगर समय पर इलाज न किया जाए तो दृष्टि स्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। रोशनी जाने का डर भी सता सकता है।
आईएएनएस के अनुसार