ब्रेन कैंसर के लिए निकाला टेस्ट (सौ.सोशल मीडिया)
दुनिया की गंभीर बीमारियों में से एक बीमारी कैंसर हैं जिसके कई मामले सामने आते रहते हैं तो वहीं पर इस पर लगाम लगाना आसान नहीं होता है। शरीर के कई हिस्सों में कैंसर का खतरा होता हैं तो वहीं पर कई मामले इसके आखिरी स्टेज पर ही पता चलते है। ब्रेन कैंसर भी सबसे गंभीर कैंसर माना जाता है जो व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित करता है। हाल ही में ब्रेन कैंसर के मरीजों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है जिसके मुताबिक अब नए टेस्ट के जरिए मरीज में बीमारी के खतरे की पहचान पर स्थिति का आकंलन जल्दी किया जाएगा।
दरअसल अमेरिका की नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम द्वारा ब्रेन कैंसर पर अध्ययन के बाद नए टेस्ट की तकनीक को खोज निकाला है। इस स्टडी के तहत एक ऐसे ब्लड टेस्ट उपकरण को विकसित किया है जिसकी मदद से एक टेस्ट की मदद से ब्रेन कैंसर का पता लगाना आसान हो जाएगा। इस खास तरह के उपकरण का अविष्कार कैंसर के एक खतरनाक रूप ग्लियोब्लास्टोमा को पता लगाने के लिए किया गया हैं जो शरीर में जब फैलता हैं तो भयानक स्थिति पैदा करता है। इस खास तरह के टेस्ट के जरिए दिमागकी कोशिकाओं के विकास पर निगरानी रखी जाएगी।
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यहां पर कैंसर को अच्छी तरह से समझें तो, शरीर में कैंसर का कारण कोशिकाओं के नियंत्रण से ज्यादा बढ़ने से होता है इस स्थिति में कैंसर के मामले गंभीर हो जाते हैं जिनका शुरुआती दौर में तो पता नहीं चलता हैं लेकिन दूसरी और तीसरी स्टेज पर ही पहचान हो पाती है। कैंसर के गंभीर होने के मामले में ग्लियोब्लास्टोमा, ब्रेन कैंसर का घातक परिणाम है। इस खतरे को कम करने के लिए नए टेस्ट में उपकरण की बात की जाए तो, एक छोटी सी बायोचिप की मदद से टेस्टिंग की जाती है।
इस चिप में इलेक्ट्रो काइनेटिक सेंसर का उपयोग कर टेस्टिंग होती है, सेंसर ये पता लगाता है कि कोशिकाओं में कैंसर से संबंधित बायोमार्कर हैं या नहीं जिन्हें एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर्स के नाम से जाना जाता है. रिसर्चर्स का दावा है कि इस उपकरण की एक्यूरेसी काफी ज्यादा है और आने वाले समय में ये ब्रेन कैंसर डिटेक्ट करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगी।
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इस नए टेस्ट के आने से ब्रेन कैंसर की स्थिति में मरीज की जान बचान आसान हो जाएगा तो वहीं पर करीब 1 साल तक मरीज बिना किसी परेशानी के जीवित रहने की भी संभावना दी गई है। इस ब्रेन कैंसर के अलावा अन्य कैंसरों, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, डिमेंशिया और एपिलेप्सी का पता लगाने में भी उपयोगी साबित होगा।अभी तक इस कैंसर की पहचान के लिए बायोप्सी की जाती थी जिसमें ट्यूमर से टिश्यू का नमूना लेकर जांच की जाती थी. लेकिन ये ब्लड टेस्ट इस कैंसर की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।