नागपुर एम्स (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: नागपुर एम्स को अवयव प्रत्यारोपण के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान के रूप में अपनी पहचान को और मजबूती प्रदान करते हुए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली है। किडनी, कॉर्निया (नेत्र), बोन मैरो ट्रांसप्लांट में सफलता प्राप्त करने और हृदय प्रत्यारोपण की अनुमति प्राप्त करने के बाद अब संस्थान को लीवर प्रत्यारोपण करने की भी मंजूरी मिल गई है। यह स्वास्थ्य सेवाओं में एक नया युग आरंभ करने का संकेत है।
एम्स ने मई 2023 में किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू करने के बाद से 35 सफल किडनी प्रत्यारोपण किए हैं। इनमें 10 प्रत्यारोपण जीवित दाताओं से, 19 ब्रेनस्टेम-डेड (बीएसडी) दाताओं से और 6 सर्कुलेटरी डेथ (डीसीडी) दाताओं से किए गए हैं। खास बात यह कि एम्स पहला और देश का तीसरा संस्थान है जिसने डीसीडी के तहत किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया है।
मृत दाता किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू होने के बाद से 6 बोन मेरो प्रत्यारोपण किए गये हैं। संस्थान ने अब तक 17 कॉर्नियल प्रत्यारोपण किए हैं और 22 कॉर्नियल डोनेशन प्राप्त किए हैं। इन प्रयासों ने कई मरीजों की दृष्टि को पुनः स्थापित किया है और समग्र स्वास्थ्य सेवा में संस्थान की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।
महाराष्ट्र की खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
जहां किडनी प्रत्यारोपण महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (एमजेपीजेएवाई) के तहत कवर होते हैं वहीं लीवर, हृदय और बोन मैरो प्रत्यारोपण प्रक्रियाएं इसमें शामिल नहीं हैं। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के माध्यम से फंडिंग प्राप्त कर मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। कार्यकारी निदेशक डॉ। प्रशांत पी। जोशी ने कहा कि अंग और कोशिका प्रत्यारोपण में उत्कृष्टता का केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कुशल टीम और उन्नत बुनियादी ढांचे के साथ उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त की जा रही है।