पेट में बनने वाला अम्ल (सौ. सोशल मीडिया)
Gastric Acid: हमारे शरीर की पाचन क्रिया का सही रहना बेहद जरूरी होता है। यहां पर खाने को पचाने के लिए पेट में अम्ल (एसिड) बनना जरूरी होता है। कई बार पेट में बनने वाला यह अम्ल जादू की तरह काम करता है यानि आपके खाने को तेजी से पचाता है। कई बार इस प्रक्रिया में असंतुलन होता है तो कई बीमारियों को जन्म देता है जिसके बारे में कम लोगों को जानकारी होती है। दोनों ही अवस्थाएं शरीर के स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती हैं।
यहां पर पेट में बनने वाला पाचक अम्ल या गैस्ट्रिक अम्ल मुख्य रूप से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और पेप्सिन तत्वों से मिलकर बना होता है। यह आपके शरीर में एक अलार्म की भांति होता है जिसमें जब पेट खाली होता है और आपको भूख लगती है, तो पेट से जो गुरगुराहट की आवाज आती है, जो इस बात का संकेत देता है कि, अब शरीर को भोजन की आवश्यकता है। पेट का अम्ल खाना पचाने, प्रोटीन को तोड़कर रक्त में मिलाने, भोजन के बैक्टीरिया को खत्म करने और अच्छे पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित करने का काम करता है। ये काम तभी ठीक प्रक्रिया से हो पाता है जब अम्ल सही समय और मात्रा में बने।
यहां पर सेहत की बात करें तो, पेट में बनने वाला अम्ल हमारे पेट को नुकसान नहीं पहुंचाता, जब तक पेट के भीतरी हिस्से पर बनी म्यूकस लाइनिंग सुरक्षित है। कहा जाता है कि, ज्यादा मसालेदार, ज्यादा खट्टा और दूषित खाना खाने से म्यूकस लाइनिंग टूट जाती है और पेट में बनने वाला अम्ल पेट को ही नुकसान पहुंचाने लगता है। ऐसे में पेट में दर्द, जलन और अल्सर होने का खतरा रहता है। विज्ञान और आयुर्वेद में तभी इसी बात पर जोर दिया गया है कि रात का खाना हमेशा हल्का रखना चाहिए। रात के समय ही पाचन की दिक्कत के बाद हार्टबर्न और एसिडिटी की समस्या बन जाती है।
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यहां पर पेट में बनने वाले अम्ल की जरूरत तो होती है लेकिन कई बार असंतुलन की स्थिति बनती है। तनाव और चिंता होने पर पेट में बनने वाला अम्ल बुरी तरीके से प्रभावित होता है। ये अम्ल को बढ़ाने और कम करने का काम करता है। इस असंतुलन को बैलेंस करने के कई तरीके होते है जो इस प्रकार है।
आईएएनएस के अनुसार