बॉडी डिटॉक्स करने की हेल्दी टिप्स (सौ. सोशल मीडिया)
Healthy Habits for body Detox: भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपनी सेहत का ध्यान अच्छी तरह से रख नहीं पाते है। जहां पर स्वास्थ्य की कई समस्याओं से घिरे रहते है इसमें ही मोटापा सबसे आम है। शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए हर कोई भोजन छोड़ने लगते है। लोग सोचते है कि, भोजन छोड़ने से शरीर के सारे विषैले पदार्थ बाहर निकल जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है हम खुद को कमजोर बना लेते है।
अपने शरीर को डिटॉक्स करने के लिए भोजन छोड़ने की बजाय आयुष मंत्रालय ने कुछ आदतों के बारे में बताया है जो हेल्दी होता है। अगर आप कुछ आयुर्वेदिक उपायों को अपनाते है तो आपको काफी फायदा मिलता है।
यहां पर आयुष मंत्रालय ने बॉडी डिटॉक्स को लेकर जानकारी दी है। मंत्रालय के अनुसार, भोजन छोड़ना न केवल हानिकारक है, बल्कि यह शरीर की पाचन शक्ति को कमजोर करता है, जिससे विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स) जमा हो सकते हैं। यहां पर आयुर्वेद में नियमित और संतुलित खान-पान को स्वस्थ जीवन की कुंजी माना गया है। भोजन छोड़ने से आपका शरीर तो डिटॉक्स हो जाएगा लेकिन आपके शरीर को मिलने वाले सारे पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाएगा। आप भोजन को छोड़ने की बजाय नियमित और संतुलित आहार, योग का सही तरीका अपना सकते है। अगर आप खानपान में अनियमितता अपनाते है तो आपको नुकसान हो सकता है। अनियमित खान-पान की आदतें पाचन अग्नि (पाचन शक्ति) को कमजोर करती हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है।
अपनी सेहत को बेहतर बनाने के लिए आप कुछ सरल आदतों का सहारा ले सकते है इसके बारे में आयुष मंत्रालय ने जानकारी दी है…
1- सबसे पहले, नियमित समय पर संतुलित भोजन करना जरूरी है। इस हेल्दी डाइट में फाइबर, प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बाजरा, हरी सब्जियां और फल को शामिल करना चाहिए।
2- खानपान के अलावा गर्म पानी पीना भी पेट और पाचन के लिए बेहतर होता है। गर्म पानी पीने से शरीर के सारे विषैले पदार्थ बाहर निकलते है।
बॉडी डिटॉक्स
3- आप योग और प्राणायाम जैसे श्वास व्यायाम तनाव को कम करते हैं और शरीर के डिटॉक्स का काम करता है। नाक में तिल का तेल लगाना (नस्य) और हर्बल काढ़ा जैसे तुलसी-अदरक की चाय पीना भी डिटॉक्स में मदद करता है।
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4- पर्याप्त नींद और मौसम के अनुसार जीवनशैली (ऋतुचर्या) अपनाना भी जरूरी है। मंत्रालय ने बताया कि आयुर्वेदिक डिटॉक्स में पंचकर्मा जैसी प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं, जो विशेषज्ञ की देखरेख में की जानी चाहिए।
आईएएनएस के अनुसार