
क्या HIV पॉजिटिव मां करा सकती है ब्रेस्टफीडिंग (सौ.सोशल मीडिया)
World Breastfeeding Week: इन दिनों विश्व स्तनपान सप्ताह चल रहा है। यह सप्ताह नई माताओं को स्तनपान का महत्व बताने के लिए मनाया जाता है। स्तनपान, मां और शिशु दोनों के जरूरी होता है। मां बनना हर महिला के जीवन का सबसे खास अनुभव होता है। हर महिला का कर्तव्य अपने शिशु के शारीरिक विकास के लिए बढ़ जाता है। नवजात शिशु के लिए मां का दूध 6 महीने तक अमृत के समान होता है इसलिए स्तनपान कराना जरूरी है।
यहां पर अगर महिला एचआईवी पॉजिटिव हो, तो यह सफर थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसे में मां और उसके बच्चे की सेहत को लेकर कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। अगर डॉक्टर की बताई हुई सावधानी बरती जाए तो, एचआईवी पॉजिटिव मां भी अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा सकती है।
यहां पर नोएडा के सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने एचआईवी पॉजिटिव मां के स्तनपान करने के नियम के बारे में जानकारी दी है। जहां पर विशेषज्ञ पाठक ने बताया कि एचआईवी पॉजिटिव माताओं को दो श्रेणियों में बांटा जाता ‘है—’लो रिस्क मदर’ और ‘हाई रिस्क मदर’। इसमें ”लो रिस्क मदर” के अंतर्गत वह महिलाएं आती है जिनमें तीन बातें पाई जाती है। पहली, महिला ने डिलीवरी से कम से कम चार हफ्ते पहले अपना इलाज यानी एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) शुरू कर दी हो, दूसरी, उसके खून में वायरस का असर न के बराबर हो, यानी वायरल लोड पता न चले और तीसरी, महिला के स्तनों में कोई तकलीफ न हो, जैसे निप्पल में दरार, सूजन या खून आना आदि परेशानी न हो। अगर ये तीनों बातें किसी महिला में हैं, तो वह ‘लो रिस्क’ मानी जाती है।
इसके अलावा ”हाई रिस्क मदर” की श्रेणी की बात की जाए तो, इसमें वह महिलाएं शामिल होती है जो एचआईवी से पीड़ित है और जिन्होंने अपनी दवाएं डिलीवरी के समय के आसपास शुरू की हों, या जिनके खून में अभी भी वायरस एक्टिव हो यानी वायरल लोड डिटेक्ट हो रहा हो। इसके अलावा अगर महिला ने सही समय पर दवाई तो शुरू कर दी हो लेकिन स्तनों में कोई समस्या हो, तो भी वह ‘हाई रिस्क’ श्रेणी में आती है।”
यहां पर लो रिस्क मदर और हाई रिस्क मदर की श्रेणी में आने वाली महिलाओं के बच्चे को दूध पिलाने के नियम होते है। इसे लेकर डॉ. मीरा पाठक बताती है कि, ”दोनों तरह की माताओं के लिए फीडिंग के नियम अलग-अलग होते हैं। अगर महिला ‘लो रिस्क’ है, तो उसे साफ तौर पर सलाह दी जाती है कि वह अपने बच्चे को सिर्फ अपना दूध ही पिलाए, जिसे ‘एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग’ कहा जाता है। उसे यह भी बताया जाता है कि वह फॉर्मूला मिल्क और मां का दूध एक साथ न दे, क्योंकि ऐसा करने से बच्चे की आंतें कमजोर हो सकती हैं और एचआईवी वायरस के शरीर में पहुंचने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे बच्चों को एक सिरप दिया जाता है और छह हफ्ते बाद उनका एचआईवी टेस्ट होता है।”
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बताया जाता है कि, अगर हाई रिस्क माताओं की श्रेणी में आने वाली महिलाओं के स्तनपान के अलग नियम होते है। इस नियम के अनुसार, शुरुआत में फॉर्मूला मिल्क की सलाह दी जाती है, लेकिन कई बार यह दूध बच्चों में डायरिया जैसी दिक्कतें पैदा कर सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट बताते है कि, हाई रिस्क महिलाओं के स्तनपान के नियम में डॉक्टर एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग की अनुमति दे देते हैं, लेकिन इसमें भी साफ हिदायत होती है कि मिक्स फीडिंग नहीं होनी चाहिए। यहां पर इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि, मां का दूध, फार्मूला मिल्क के साथ ना दें सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यहां पर हाई रिस्क बच्चों को दो तरह के सिरप दिए जाते हैं और छह हफ्ते बाद उनका भी एचआईवी टेस्ट किया जाता है।”
आईएएनएस के मुताबिक






