गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (सोर्स: साेशल मीडिया)
पणजी: गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने गोवा के पहले मुख्यमंत्री को लेकर विवादित बयान दिया इसके बाद सीएम प्रमोद सावंत ने पर पलटवार करते हुए इसे भाऊसाहेब विरोधी और गोवा विरोधी बयानबाजी बताया। साथ ही कहा कि इस तरह की टिप्पणी गोवा की भावना के प्रति अनादर है।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के अध्यक्ष विजय सरदेसाई की उस टिप्पणी की कड़ी निंदा की है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि राज्य के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बांदोडकर को ”गोवा की पहचान से एलर्जी” थी।
सावंत ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि “विजय का बयान सिर्फ गलत जानकारी नहीं, बल्कि गोवा के पहले मुख्यमंत्री की विरासत का अपमान है।” सावंत ने इस भाऊसाहेब विरोधी और गोवा विरोधी बयानबाजी की आलोचना की और इसे गोवा की भावना के खिलाफ बताया।
16 जनवरी को आम आदमी पार्टी के विधायक वेंज़ी विगास ने दक्षिण गोवा जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक जल-मल शोधन संयंत्र के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की तुलना गोवा को लेकर उनके नजरिए के लिए गोवा के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बांदोडकर से की थी।
मंगलवार को जीएफपी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने विगास की टिप्पणी को बेहद हास्यास्पद बताया। जीएफपी प्रमुख ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री की तुलना बांदोडकर से करना ‘पूरी तरह से मजाक’ है। साथ ही सरदेसाई ने निशाना साधते हुए कहा कि ”मैं इन दोनों में एकमात्र समानता यह देखता हूं कि ये दोनों गोवा की अनूठी पहचान और भावना को कमजोर करने की मंशा रखते हैं और गोवा को महाराष्ट्र के विस्तारित क्षेत्र के रूप में चलाना चाहते हैं।”
सरदेसाई ने आरोप लगाया कि “सीएम प्रमोद सावंत को ‘गोयंची अस्मिताई’ (गोवा की पहचान) से एलर्जी है। इसी तरह, बांदोडकर को भी गोयंची अस्मिताई से एलर्जी थी।”
सरदेसाई की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम सावंत ने एक्स पर लिखा कि ”भाऊसाहेब बांदोडकर को कभी गोवा की अस्मिता से एलर्जी नहीं थी! यह कहना कि भाऊसाहेब ने गलती की या उन्हें गोवा की पहचान से एलर्जी थी, सिर्फ गलत जानकारी नहीं, बल्कि गोवा के पहले मुख्यमंत्री की विरासत का अपमान है।”
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उन्होंने आगे लिखा कि ”भाऊसाहेब एक कद्दावर नेता थे, जिन्होंने गोवा की पहचान और विकास के लिए काम किया। असली समस्या विजय सरदेसाई और उनके अहंकार में है, जो उन्हें यह भ्रम देता है कि उनके जैसे लोग दूसरों से ‘ज्यादा गोवावासी’ हैं।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)