
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है।
Pakistan Parliament Donkey Fact Check : सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की संसद में एक गधा घुस आया। वीडियो में दिखता है कि किसी संसद जैसी जगह पर कई नेता अपनी सीटों पर बैठे हैं और तभी एक गधा हॉल में दौड़ता हुआ प्रवेश करता है, लोगों को टक्कर मारता है और अफरा-तफरी मच जाती है।
इस वीडियो को लेकर लोग अलग-अलग तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। कुछ लोग इसे पाकिस्तान के राजनीतिक हालात पर तंज कसते हुए शेयर कर रहे हैं, तो कुछ इसे हकीकत समझ बैठे हैं। एक फेसबुक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा- “पाकिस्तान की संसद में गधा घुस गया, अब तो सांसदों की सुरक्षा की जरूरत ही नहीं।” वीडियो वायरल होने के बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या यह घटना सच में हुई या फिर केवल सोशल मीडिया का शोर है?
पाकिस्तान के संसद में तो गधे घुस गए, यही पाकिस्तान की राष्ट्रीय संपत्ति है जिसे वह दुनिया भर में एक्सपोर्ट करना चाहता है और पिछले साल चीन को सबसे अधिक यही एक्सपोर्ट किया था #Pakistan #PakistanArmy #Pakistani pic.twitter.com/k35o5BB5M9 — Nitish Chandravanshi (@Nitishtrends) December 4, 2025
जब इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए खोजबीन की गई, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। सबसे पहले, अगर किसी देश की संसद में गधा घुस जाए, तो यह अपने-आप में बड़ी खबर होती और पाकिस्तान की मीडिया इस पर जरूर रिपोर्ट करती। लेकिन किसी भी भरोसेमंद पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट या टीवी चैनल ने ऐसी कोई खबर नहीं चलाई।
AI डिटेक्ट टूल के सर्च रिजल्ट का स्क्रीनशॉट।
इसके बाद वायरल वीडियो के कई फ्रेम्स को निकाला गया और AI डिटेक्शन टूल्स पर जांच की गई। ‘Hive Moderation’ और ‘Sightengine’ दोनों टूल्स ने इस वीडियो को लगभग 98% AI-generated बताया। यानी यह वीडियो असल में किसी संसद का नहीं, बल्कि AI तकनीक से बनाया गया एक झूठा विजुअल है। वीडियो की लाइटिंग, मोशन और गधे की हरकतें भी ध्यान से देखने पर अनसिंक्रनाइज़ लगती हैं, जो इसकी वास्तविकता पर सवाल उठाती हैं।
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जांच के बाद साफ हो गया कि पाकिस्तान की संसद में गधे की घुसपैठ वाली घटना पूरी तरह फर्जी है और AI का इस्तेमाल करके बनाया गया है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो तेजी से वायरल हो जाते हैं क्योंकि वे मनोरंजक होते हैं और लोगों की भावनाओं को उकसाते हैं। लेकिन बिना तथ्य जांचे इन्हें सच मान लेना गलतफहमियां फैलाता है।
यह मामला हमें याद दिलाता है कि आज के समय में AI तकनीक से असली और नकली में फर्क करना मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए ऐसे सनसनीखेज दावों पर विश्वास करने से पहले विश्वसनीय स्रोतों पर जरूर भरोसा करना चाहिए। कुल मिलाकर, यह वीडियो केवल एक डिजिटल मजाक था, जिसे कुछ लोगों ने असली घटना समझ लिया।






