जावेद अख्तर (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर ने बॉलीवुड में अपनी कलम और आवाज से कई लोगो के दिलों में अपनी एक अलग जगह बनाई है। जावेद अख्तर का असली नाम जादू है। जावेद के इस नाम के पीछे एक मजेदार कहानी है। जावेद की पिता की कविता थी ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’ से होगा उनका यह नाम पड़ा था। उनके पिता जां निसार अख्तर प्रसिद्ध शायर और माता सफिया अख्तर लेखिका थीं।
हनी और जावेद के दो बच्चे फरहान अख्तर और जोया अख्तर हैं। लेकिन दोनों का रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला और वो दोनों 1978 में अलग हो गए। उसके बाद उन्होंने 1984 में शबाना आजमी से दूसरी शादी की। जावेद अख्तर हमेशा से कुछ अलग करना चाहते थे। इसलिए वह 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई आ गए, लेकिन उस वक्त उनकी हालत बेहद खराब थी।
जावेद अख्तर के पास खाने के लिए भी पसे नहीं थे, तो उन्होंने कई रातें सड़कों पर बिताई है। जावेद अख्तर ने बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है कई दिन ठोकर खाने के बाद आखिर में उन्हें कमाल अमरोही के स्टूडियो में ठिकाना मिला। जावेद अख्तर को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था।
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एक बार जावेद अख्तर अपनी स्क्रिप्ट लेकर किसी प्रोड्यूसर के पास गए, लेकिन प्रोड्यूसर को स्क्रिप्ट को पसंद नहीं आयी और उन्होंने पन्ने जावदे अख्तर के मुंह पर मार दिए और कहा कि तुम जिंदगी में कभी लेखक नहीं बन सकते। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिर में उनकी मेहनत रंग लाई। उसके बाद जावेद अख्तर को फिल्मी गीतकार में बदलने का श्रेय यश चोपड़ा को दिया जाता है। यश चोपड़ा ने जावेद अख्तर के टैलेंट को पहचाना और बतौर गीतकार उनको फिल्म ‘सिलसिला’ में मौका दिया।
बॉलीवुड को जावेद अख्तर की सलीम खान के साथ अच्छी दोस्ती थी। एक वक्त ऐसा था की बेहतरीन फिल्मो की कहानी के पीछे इनदोनों महारथी का हाथ होता था। जावेद अख्तर और सलीम खान की मुलाकात फिल्म ‘सरहदी लुटेरा’ के सेट पर हुई थी, जिसमें सलीम खान हीरो बने थे और जावेद क्लैपर ब्वॉय के रूप में थे। इस जोड़ी ने कुल 24 फिल्मों की कहानियां लिखी, जिनमें ‘सीता-गीता’, ‘शोले’, ‘हाथी मेरा साथी’, ‘यादों की बारात’, और ‘दीवार’ जैसे सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। लेकिन फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के बाद सलीम-जावेद की जोड़ी टूट गई. लेकिन आज भी यह दोनों औपचारिक मित्र है।