फिल्मों में बदलते रंगों में गूंजा राष्ट्रगीत
Vande Mataram Song: भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ आज 150 साल पूरे कर चुका है। 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चटर्जी ने अक्षय नवमी के दिन इसकी रचना की थी। यह गीत उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा था और धीरे-धीरे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया। आज जब देशभर में इसके 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है, तो यह जानना दिलचस्प है कि हिंदी सिनेमा ने भी दशकों से इस गीत को अपने-अपने अंदाज में पेश किया है।
सबसे पहले बार ‘वंदे मातरम’ को 1952 में बनी फिल्म ‘आनंदमठ’ में लता मंगेशकर की आवाज में सुना गया। हेमंत कुमार ने इस गीत को नई धुन में पिरोया और इसकी आत्मा को बरकरार रखा। फिल्म के इस संस्करण ने दर्शकों में देशभक्ति की लहर दौड़ा दी थी। करण जौहर की फैमिली ड्रामा फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में भी ‘वंदे मातरम’ को नए अंदाज में पेश किया गया। उषा उत्थुप और कविता कृष्णमूर्ति की जोड़ी ने इसे अपनी आवाज दी। फिल्म के उस सीन में यह गीत दर्शकों को भावुक कर गया जब परिवार एकजुट होता है, और इसके साथ ही देशभक्ति की भावना भी जाग उठती है।
साल 2015 में आई ‘एबीसीडी 2’ में ‘वंदे मातरम’ को डांस थीम में शामिल किया गया। वहीं ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘फाइटर’ में इसे ‘द फाइटर एंथम’ के रूप में सुनाया गया। इस गाने ने देशभक्ति को आधुनिक एक्शन के साथ जोड़ा। ऑपरेशन वैलेंटाइन में सुखविंदर सिंह की दमदार आवाज में ‘वंदे मातरम’ सुनने को मिला। जबकि ‘इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड’ में पापोन, अल्तमश फरीदी और अमित त्रिवेदी ने मिलकर इसका soulful वर्जन तैयार किया। दोनों फिल्मों में राष्ट्रगीत ने कहानी को भावनात्मक ऊंचाई दी।
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2019 में जॉन अब्राहम की ‘रोमियो अकबर वाल्टर’ में सोनू निगम ने वंदे मातरम को अपनी आवाज दी। वहीं 1997 में ए.आर. रहमान के एल्बम ‘मां तुझे सलाम’ में यह गीत एक आइकॉनिक नॉन-फिल्म ट्रैक बन गया, जिसने नई पीढ़ी में भी देशप्रेम की भावना भरी। हाल ही में रिलीज हुई ‘सलाकार’ में सूर्य शर्मा और मौनी रॉय पर फिल्माया गया आधुनिक वर्जन खूब पसंद किया गया। वहीं 1985 में बनी तेलुगु फिल्म ‘वंदे मातरम’ में विजयशांति और राजशेखर ने अभिनय किया था, जिसने इस गीत की सार्वभौमिक अपील को और मजबूत किया।