Tu Meri Main Tera Main Tera Tu Meri Movie Review (फोटो क्रेडिट-इंस्टाग्राम)
Movie Review: रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा तू मेरी’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है, जिसमें कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म का निर्देशन समीर विद्वांस ने किया है। हालांकि, बड़े नामों के बावजूद यह फिल्म दर्शकों को प्रभावित करने में असफल रही है। इसे हमने 1.5 स्टार्स की रेटिंग दी है।
कहानी: फिल्म की शुरुआत होती है एक शादी के बैकड्रॉप के साथ जहां कार्तिक आर्यन उर्फ रेहान की बड़ी शानदार एंट्री होती है। इस शादी की वेडिंग प्लानर होती हैं पिंकी मेहता (नीना गुप्ता) जोकि रेहान की मां हैं। वहीं दूसरी ओर दिखाया गया है कि जैकी श्रॉफ जोकि एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं और उनकी बेटी का किरदार निभाया है अनन्या पांडे और चांदनी भाभड़ा ने. फिल्म एक ऐसे मोड़ पर आती है जहां अनन्या क्रोएशिया ट्रिप पर जाती हैं और एयरपोर्ट पर उनकी मुलाकात होती है कार्तिक से जो कहीं न कहीं उनके साथ फ़्लर्ट करने लगते हैं। कार्तिक भी इसी ट्रिप पर जा रहे होते हैं और पूरे रास्ते उन्हें तंग करते हुए नजर हैं। फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी हद तक सलमान खान और करिश्मा कपूर की ‘दुल्हन हम ले जाएंगे’ की याद दिलाता है, जहां विदेश ट्रिप पर गए दोनों कपल्स में काफी नोंक-झोक होती है, लेकिन बाद में उन्हें प्यार हो जाता है। कहानी तब मोड़ लेती है, जब अनन्या कार्तिक से कहती हैं कि वो अपने पिता को अकेले आगरा छोड़कर उनके साथ विदेश सेटल नहीं हो सकती है। यहीं से शुरू होता है तकरार और इम्तिहान का दौर लेकिन हर टिपिकल बॉलीवुड फिल्म की तरह कहानी एक हैपी एंडिंग पर अंत होती है।
परफॉर्मेंस: फिल्म में एक चॉकलेट बॉय के किरदार में नजर आए कार्तिक से हमें काफी उम्मीदें थी, लेकिन कई जगहों पर मानों वे ओवर एक्टिंग करते हुए नजर आए। वहीं बात करें अनन्या पांडे की तो इमोशन्स और एक्सप्रेन्स के मामले में उन्हें अभी काफी कुछ सीखना बाकी है। इनके अलावा नीना गुप्ता ने ठीक-ठाक काम किया है। वहीं जैकी श्रॉफ अपने किरदार में पूरी तरह से ढले हुए नजर आए।
म्यूजिक: फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी तंग नजर आता है और इसके गानों की बात करें तो यहां ऐसा कोई रोमांटिक सॉन्ग नहीं जो आपके जेहन में बस जाए और आपको इम्प्रेस करे। अपने बेहतरीन गानों के लिए मशहूर विशाल-शेखर और धर्मा प्रोडक्शन्स हमें पूरी तरह से निराश करते हैं।
फाइनल टेक: कुलमिलाकर कहें तो ये फिल्म काफी हद तक प्रेडिक्टेबल नजर आती है, न तो कलाकारों की एक्टिंग में दम है और न ही इसकी स्टोरी टेलिंग में है। यकीनन कॉन्सेप्ट अच्छा था लेकिन जिस तरह से इसकी कहानी को लिखा गया है, ये बेहद कमजोर और बोरियत से भर जाती है। फिल्म के अंतिम सीन्स को भी काफी हद तक खींचा गया। इसका स्क्रीन प्ले भी काफी कमजोर है जिसके चलते ये इमोशन जगाने में नाकामयाब होती है। सिनेमाघरों में इसे देखकर वक्त जाया करने से बेहतर हम पाठकों को कुछ समय रुककर इस फिल्म को ओटीटी देखने की सलाह देते हैं।