विजय रैली भगदड़ (फोटो-सोर्स, सोशल मीडिया)
Vijay Reaction On Karur Stampede: तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर को हुई चुनावी रैली के दौरान भगदड़ की दर्दनाक घटना में 41 लोगों की मौत और 110 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस हादसे के दो दिन बाद, अभिनेता विजय ने आज शोक संदेश जारी करते हुए पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
दरअसल, उन्होंने कहा, “मैंने अपने जीवन में कभी इतनी दर्दनाक स्थिति का सामना नहीं किया। मेरा मन चिंता से भरा है और दिल दर्द से भरा हुआ है।” विजय ने पहले ही प्रभावित परिवारों के लिए 20 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की थी। उन्होंने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की भी मांग की, ताकि घटना की सच्चाई सामने आए और भविष्य में ऐसा हादसा दोबारा न हो।
pic.twitter.com/FipkqoLlmB — TVK Vijay (@TVKVijayHQ) September 30, 2025
इस बीच, करूर रैली की जांच कर रही पुलिस ने आज एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पावुनराज नाम का यह व्यक्ति टीवीके पार्टी के अभियान में झंडे और फ्लेक्स बैनर लगाने का काम करता था। सोमवार को पार्टी के पश्चिमी जिला सचिव मथियाझागन को पहले ही गिरफ्तार किया गया था। अब तक इस भगदड़ मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। अगले एक घंटे के भीतर दोनों गिरफ्तार आरोपियों को आगे की कानूनी प्रक्रिया के लिए पेश किया जाएगा।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रैली के दौरान अचानक बिजली गुल होने से अफरातफरी मच गई, और लोग एग्जिट गेट की ओर भागने लगे। इस भगदड़ में महिलाओं और बच्चों सहित 41 लोगों की मौत हुई और 110 लोग घायल हुए, जिनमें से अब तक 51 लोग रिकवर हो चुके हैं। बाकी घायलों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज जारी है।
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इस मामले की जांच पहले करूर के पुलिस उपाधीक्षक सेल्वराज संभाल रहे थे, लेकिन राज्य के शीर्ष पुलिस नेतृत्व ने उच्च-स्तरीय जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेमानंद को जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ितों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि “अटकलें और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां केवल शोकाकुल परिवारों को ही ठेस पहुंचाएंगी।”
वहीं, विपक्षी अन्नाद्रमुक नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने सत्तारूढ़ द्रमुक से जवाबदेही की मांग की। उन्होंने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह भयावह घटना प्रशासनिक विफलता को उजागर करती है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि सुरक्षा प्रोटोकॉल क्यों लागू नहीं किए गए।” बता दें,