मुंबई: कंगुवा की कहानी पाँच प्रमुख द्वीपों पर आधारित है, जिनमें हर द्वीप पर एक अलग जनजाति का शासन है। ये द्वीप मुंबई के ऐतिहासिक और उस समय के महत्व को उजागर करते हैं। यह सेटिंग उस दौर से प्रेरित है जब पुर्तगालियों ने 16वीं शताब्दी में बॉम्बे के सात द्वीपों पर कब्जा करना शुरू किया था। पुर्तगालियों ने जैसे धीरे-धीरे द्वीपों पर कब्ज़ा किया, वैसे ही कंगुवा की जनजातियाँ भी बाहरी हमलावरों से खतरे में हैं, जो उनकी ज़मीन और शक्ति पर नियंत्रण करना चाहते हैं। इन पाँचों जनजातियों की अपनी संस्कृति, ताकत और खुद को बचाने के तरीके हैं, जो मुंबई के द्वीपों पर रहने वाले समुदायों, जैसे कोली मछुआरे, किसान और व्यापारी से मेल खाते हैं।
फिल्म में कब्जा करने वाले पुर्तगाली उपनिवेशवादियों को दिखाता है, जिनके आने से वहां रहने वाले जनजातियों के बीच शक्ति का संतुलन टूट जाता है। ऐसे में, कंगुवा की कहानी हमें एक ऐतिहासिक संघर्ष दिखाती है, जिसमें इन द्वीपों की पहचान को बचाने के लिए विदेशी कब्जे के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा जाती है, जैसे मुंबई के लोगों ने भी सदियों पहले इसी तरह का संघर्ष किया था। अब यह सभी समानताएं देखकर कोई भी सोच में पड़ सकता है कि क्या कंगुवा की कहा की कहानी असल में मुंबई पर तो आधारित नहीं ?
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बता दें कि फिल्म को इंडिया के अलावा, 7 अलग-अलग देशों में शूट किया गया है। मेकर्स के दिमाग में फिल्म के लिए एक अपनी तरह का लुक है, क्योंकि यह प्रीहिस्टोरिक पीरियड को दिखाने वाली अनोखी फिल्म है। मेकर्स ने टेक्निकल डिपार्टमेंट जैसे एक्शन और सिनेमेटोग्राफी के लिए हॉलीवुड एक्सपर्ट्स को हायर किया है। फिल्म में कुल 10 हजार लोगों से ज्यादा के साथ शूट किया गया, सबसे बड़ा वॉर सीक्वेंस भी है। इतना ही नहीं, स्टूडियो ग्रीन ने टॉप डिस्ट्रीब्यूशन हाउसेज के साथ हाथ मिलाया है, ताकि फिल्म को बड़े लेवल पर दुनिया भर में रिलीज किया जा सके। यह फिल्म 14 नवंबर 2024 को रिलीज हो चुकी है।