सिंगर के जे येसुदास (सौ.सोशल मीडिया)
मुंबई: सिंगर के जे येसुदास के सदाबहार नगमे किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकते हैं। वह मूल रूप से एक मलयाली भारतीय शास्त्रीय सिंगर है, लेकिन उन्हें पूरा देश सुनता है और सम्मान भी करता है। भारत ही नहीं, विदेश में भी उनके कंसर्ट होते हैं। के जे येसुदास का जन्म 10 जनवरी 1940 को केरल के फोर्ट की कोच्चि में हुआ था। उनके पिता अगस्टिन जोसेफ एक प्रसिद्ध मलयालम शास्त्रीय संगीतकार और उस समय के स्टेज एक्टर थे। के जे येसुदास के पिता ही उनके पहले गुरु थे।
येसुदास की विलक्षण प्रतीक्षा का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने सिर्फ 7 साल की उम्र में फोर्ट कोची में आयोजित होने वाली स्थानीय प्रतियोगिता में संगीत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। हिंदी, मलयालम, तमिल जैसी भारतीय भाषाओं में गाने वाले येसुदास में रूसी लैट्रिन और अरबी भाषाओं में लगभग एक लाख गाने गए।
येसुदास को देश-विदेश में कई प्रतिष्ठित साममानों से नवाजा गया है। उनको इतनी अवॉर्ड मिल चुके हैं कि 1987 में उन्हें कहना पड़ा था कि आप मुझे कोई और अवार्ड ना दें। 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। बता दे कि सोवियत संघ सरकार ने येसुदास को पूर्व सोवियत संघ में संगीत समारोहों में प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया था।
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साल 1970 में उन्होंने केरल के संगीत नाटक किया अकादमी का नियुक्त किया, जो अकादमी के इतिहास में पद धारण करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। हिंदी सिनेमा में येसुदास की भूमिका दक्षिण की भाषाओं के अलावा येसुदास ने हिंदी फिल्मों में भी गाना गया है। उन्होंने साल 1971 में फिल्म ‘जय जवान जय किसान’ से बॉलीवुड में एंट्री की थी। फिल्म ‘छोटी सी बात’ के गाने उनके गाने जानेमन-जानेमन ने उन्हें करीब करने काफी मशहूर बना दिया था।
येसुदास अपनी एक टिप्पणी के कारण विवादों में आ गए थे। उन्होंने महिलाओं के जींस पहनने का विरोध करते हुए कहा था कि यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। उनके बयान से हर तरह आलोचना ही हुई थी। तिरुवनंतपुरम में आयोजित एक समारोह में येसुदास ने कहा था कि जींस पहनकर महिलाओं को दूसरों के लिए समस्या पैदा नहीं करनी चाहिए। इस तरह की पोशाक भारतीय संस्कृति के खिलाफ है, जिसमें सादगी और सैम्यता को महिलाओं के सबसे बड़े गुणों में गिना जाता है।