श्रेयस तलपड़े और तुषार कपूर की कपकपी का रिव्यू
कहानी: ये कहानी है दो दोस्तों की जिसका किरदार निभा रहे हैं श्रेयस और तुषार। वे दोनों एक अपार्टमेंट में साथ रहते हैं और इस जगह को लेकर खबर है कि उसपर भूत प्रेत का साया है। ऐसे में ये दोनों दोस्त फैसला करते हैं कि अगर वहां कोई भूत है तो वे उसका आव्हान करेंगे। इसके लिए वे एक ओइजा बोर्ड का सहारा लेते हैं और बार-बार उस भूत से सामने आकर दर्शन देने का अनुरोध करते हैं। उनकी लगातार पुकार का असर होता है और वो प्रेत आत्मा उनके सामने प्रकट हो जाती है। वे उसे देखकर बेहद हैरान होते हैं और इसे एक खेल समझ बैठते हैं। समय के साथ वे बार-बार उस आत्मा को बुलाते हैं जिसके चलते उसकी शक्तियां और भी मजबूत हो जाती है और आगे जाकर वो भूत उनपर हावी हो जाती है। यहां से कहानी में मोड़ जहां अबवे उसे अपना पीछा छुड़ाने में जुट जाते हैं। आगे जो होता है वो कहानी को एक दिलचस्प में बदल देता है।
अभिनय: श्रेयस और तुषार एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं। वे गोलमाल सहित अन्य कॉमेडी फिल्मों में साथ काम कर चुके हैं और ऐसे में इनकी जोड़ी फिल्म में एंटरटेनमेंट का तड़का लगाने में सफल साबित होती है। फिल्म में सोनिया राठी ने भी बढ़िया काम किया है। हालांकि वे और भी बेहतर हो सकती थी। वहीं बात करें दिव्येंदु शर्मा और जाकर खान की तो वे दोनों ही अपने किरदार में पूरी तरह से ढले हुए नजर आए।
म्यूजिक: फिल्म का म्यूजिक दिलचस्प है और खासतौर पर इसका बैकग्राउंड साउंड इफेक्ट, जो इसके हॉरर सीन्स को और बाय मनोरंजक बनाता है।
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फाइनल टेक: निर्देशक संगीत सिवान ने दर्शकों के लिए एक कॉमेडी और हॉरर के बेजोड़ मिश्रण के साथ एक फिल्म पेश की है। एक तरफ जहां ‘मुंजा’ और स्त्री 2’ जैसी फिल्मों के बाद हॉरर कॉमेडी फिल्मों का बोलबाला है वहीं कपकपी आपको सिनेमाघरों मे डराने के साथ हंसाने का काम भी करती है। मेकर्स ने कहानी में हॉरर और कॉमेडी के एलिमेंट को बखूभी बैलेंस किया है। गौरतलब है कि फिल्म की स्क्रीनप्ले पर और भी बढ़िया ढंग से काम किया जा सकता था। कहानी कुछ जगहों पर धीमी महसूस होती है और साथ ही कहीं-कहीं ये प्रेडिक्टएबल भी लगती है। कुलमिलाकर इस फिल्म को आप परिवार के साथ सिनेमाघरों में जरूर एंजॉय करेंगे।