
प्रतीक बब्बर (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)
Prateik Babbar Birthday Special Story: बॉलीवुड एक्टर प्रतीक बब्बर का जन्म 28 नवंबर 1986 को मुंबई में हुआ था। एक्टर आज अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल और अभिनेता-नेता राज बब्बर के बेटे हैं। उनके जन्म के कुछ ही दिनों बाद उनकी मां स्मिता पाटिल का निधन हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्मिता को ब्रेन इंफेक्शन था, और उनके अंग एक-एक कर फेल होने लगे थे। मां के जाने के बाद उनकी परवरिश उनकी नानी-नाना ने की। लेकिन, प्रतीक को हर समय अपनी मां की कमी खलती थी।
मां का साया न होना और पिता की व्यस्तता ने उनके अंदर खालीपन छोड़ दिया था। इसी खालीपन ने उन्हें गलत राह की ओर धकेल दिया। प्रतीक ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह 12 साल की उम्र में ड्रग्स लेने लगे थे। उस समय वह अपने पिता से नाराज रहते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके पास उनके लिए समय नहीं था। यह दर्द इतना गहरा था कि वह धीरे-धीरे नशे में डूबते चले गए। उनकी हालत खराब होती गई और परिवार को उन्हें दो बार रिहैब सेंटर भेजना पड़ा।
प्रतीक ने खुद ही इंटरव्यू में बताया था कि वह उस दौर में लगभग मरने की कगार पर पहुंच गए थे। इसी तनाव में उनकी नानी, जो उन्हें पाल रही थीं, भी चल बसीं। यह उनके जीवन का सबसे दुखद समय था। हालांकि, समय के साथ प्रतीक ने खुद को दोबारा संभाला। उन्होंने नशे की लत छोड़ी, जीवन को नए ढंग से जीना शुरू किया और एक्टिंग को अपने लिए नई दिशा बना लिया।
प्रतीक ने करियर की शुरुआत विज्ञापनों से की। प्रह्लाद कक्कड़ के साथ प्रोडक्शन असिस्टेंट के रूप में काम करते हुए उन्होंने पहली बार कैमरे के पीछे का काम सीखा और धीरे-धीरे स्क्रीन पर दिखाई देने लगे। उन्होंने 2008 में फिल्म ‘जाने तू या जाने ना’ से बॉलीवुड में कदम रखा। इस फिल्म में उनका रोल छोटा था, लेकिन उनके किरदार ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड भी मिला।
इसके बाद उन्होंने ‘धोबी घाट’, ‘एक दीवाना था’, ‘दम मारो दम’, ‘आरक्षण’, ‘मुल्क’, ‘छिछोरे’, ‘बागी 2’, और ‘मुंबई सागा’ जैसी फिल्मों में काम किया। अपनी हर फिल्म में उन्होंने नई तरह के किरदार निभाए। लेकिन, उनके करियर का सबसे भावुक पहलू एक्टिंग में मां की झलक दिखाने की कोशिश करना है। प्रतीक ने एक अन्य इंटरव्यू में कहा कि वह हर सीन में अपनी मां स्मिता पाटिल को याद करते हैं।






