मोहम्मद रफी संगीत छात्रवृत्ति
मुंबई: भारत में महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफी की 100वीं जयंती के अवसर पर, व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल (डब्ल्यूडब्ल्यूआई) और इसके अध्यक्ष सुभाष घई एक ऐतिहासिक श्रद्धांजलि के रूप में मोहम्मद रफी संगीत छात्रवृत्ति शुरू करने जा रहे हैं।
यह प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति व्हिसलिंग वुड्स स्कूल ऑफ म्यूजिक के एक मेधावी छात्र को प्रतिवर्ष प्रदान की जाएगी, जो भारत के सबसे महान संगीत आइकन में से एक की स्थायी विरासत का सम्मान करने पर केंद्रित है। इसकी घोषणा 5 मई, 2025 को कैडेंस म्यूजिक फेस्टिवल 2025 के उद्घाटन समारोह के दौरान, महान गायक के बेटे शाहिद मोहम्मद रफी की उपस्थिति में की जाएगी।
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इस पहल के बारे में बोलते हुए, सुभाष घई ने कहा, “रफी साहब का संगीत पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। इस छात्रवृत्ति के माध्यम से, हम उन युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की उम्मीद करते हैं, जो संगीत के प्रति उसी जुनून और समर्पण को अपनाते हैं।” यह भावपूर्ण पहल न सिर्फ एक कालातीत प्रतिभा को श्रद्धांजलि है, बल्कि भारत के संगीत के दिग्गजों की अगली पीढ़ी को पोषित करने की दिशा में एक कदम भी है। दूसरी ओर, सुभाष घई की अगली फिल्म ‘अमायरा’ 16 मई को रिलीज होने वाली है, जिसमें व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल के पूर्व छात्र- साई गोडबोले के साथ राजेश्वरी सचदेव और अजिंक्य देव भी शामिल हैं।
मोहम्मद रफी का जन्म और उनका करियर
मोहम्मद रफी एक प्रसिद्ध भारतीय गायक थे जिन्होंने अपने समय में अपनी मधुर आवाज और गायन शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उनका जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था और उन्होंने अपने गायन करियर की शुरुआत 1940 के दशक में की थी। मोहम्मद रफी की गायन शैली बहुत ही अनोखी थी। उनकी आवाज में एक विशेष मिठास और मधुरता थी जो दर्शकों को आकर्षित करती थी। उन्होंने अपने गायन करियर में कई प्रसिद्ध गीत गाए, जिनमें “बहारों फूल बरसाओ”, और “दिल के झरोखे में” जैसे गीत शामिल हैं। मोहम्मद रफी ने अपने गायन करियर में कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया, जिनमें नौशाद, शंकर-जयकिशन, और ओपी नैयर जैसे संगीतकार शामिल हैं। उनकी गायन शैली ने कई अन्य गायकों को प्रेरित किया, जिनमें किशोर कुमार और मोहम्मद अज़ीज़ जैसे प्रसिद्ध गायक शामिल हैं।
मोहम्मद रफी को मिले अवॉर्ड
मोहम्मद रफी को उनके गायन करियर में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें 6 फिल्मफेयर पुरस्कार और 1 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें 1974 में पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। मोहम्मद रफी का निधन 31 जुलाई 1980 को हुआ था। उनकी विरासत आज भी जीवित है और उनके गीत आज भी दर्शकों को आकर्षित करते हैं।
मोहम्मद रफी के कुछ प्रसिद्ध गीत
– बहारों फूल बरसाओ
– दिल के झरोखे में
– मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया
– ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं