महेश भट्ट (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री आलिया भट्ट आज इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेसेज में गिनी जाती हैं। उनकी सफलता के पीछे उनकी मेहनत तो है ही, लेकिन उनके पिता महेश भट्ट की विरासत और योदगान का भी बड़ा हाथ रहा है।
दरअसल, महेश भट्ट जो अब डायरेक्शन से दूर हैं, 80 और 90 के दशक में ऐसे फिल्ममेकर थे जिन्होंने कई यादगार फिल्में दीं। उन्हीं में एक फिल्म है ‘आशिकी’ शामिल है, यह 1990 में रिलीज हुई थी। लेकिन ये न सिर्फ एक लव स्टोरी के तौर पर हिट रही बल्कि अपने म्यूजिक से इतिहास रच गई।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ‘आशिकी’ का सफर बेहद अनिश्चितताओं से भरा था। शुरुआत में यह फिल्म कोई प्रोजेक्ट ही नहीं थी, बल्कि इसके गाने एक म्यूजिक एल्बम के तौर पर बनाए जा रहे थे। गीतकार समीर अंजान और संगीतकार नदीम-श्रवण कुछ गाने रिकॉर्ड कर चुके थे। जब महेश भट्ट को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने म्यूजिक सुना, तो उन्हें यकीन हो गया कि इन गानों पर एक शानदार फिल्म बनाई जा सकती है।
महेश भट्ट ने एक रोमांटिक कहानी पर काम शुरू किया और तय किया कि यह फिल्म इन गानों के साथ बनाई जाएगी। लेकिन म्यूजिक कंपनी के मालिक गुलशन कुमार (टी-सीरीज) को यह विचार बहुत पसंद नहीं आया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह म्यूजिक किसी फिल्म का नहीं, बल्कि सिर्फ एक एल्बम का लगता है।
ये भी पढ़ें- ‘मैं खुद को ज्यादा परेशान…’, No Entry 2 से दिलजीत दोसांझ के बाहर होने पर डायरेक्टर अनीस बज्मी ने तोड़ी चुप्पी
इस पर महेश भट्ट ने आत्मविश्वास से भरा जवाब दिया कि “अगर ये म्यूजिक और ये फिल्म रिकॉर्ड ना बनाए, तो मैं डायरेक्शन छोड़ दूंगा।” यह बयान उस समय उनके करियर पर बड़ा दांव था।
गीतकार समीर अंजान ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद सभी लोग फिर से एक साथ बैठे और फिल्म को हरी झंडी मिली। इसके बाद बनी ‘आशिकी’ ने रिलीज के साथ ही धमाका कर दिया। फिल्म सुपरहिट हुई और इसके गाने “सांसों की जरूरत है जैसे”, “धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना”, आज भी क्लासिक माने जाते हैं।हालांकि, ‘आशिकी’ सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि एक भरोसे की जीत थी और महेश भट्ट के उस विश्वास की जो उन्होंने म्यूजिक और कहानी पर जताया था।