लव इन वियतनाम रिव्यु (फोटो- सोशल मीडिया)
Love in Vietnam Movie Story: लव इन वियतनाम बचपन की मासूम मोहब्बत की याद दिलाती है। फिल्म की शुरुआत मानव यानी शांतनु माहेश्वरी और सिम्मी यानी अवनीत कौर के रिश्ते से होती है, जो पहले प्यार की मासूमियत से भरा हुआ है। वक्त के साथ किस्मत मानव को वियतनाम ले जाती है, जहां उसकी जिंदगी एक नई दिशा लेती है। यहां उसे लिन यानी कहंगन की तस्वीर मिलती है और कहानी रहस्य व भावनाओं के बीच घूमने लगती है। दर्शकों के मन में सवाल उठता है कि क्या लिन सच में मौजूद है या सिर्फ़ ख्वाब का हिस्सा है?
फिल्म में वियतनाम की खूबसूरत झीलें, गलियां और लोकल बाज़ार न सिर्फ कहानी का बैकड्रॉप बनते हैं, बल्कि एक किरदार की तरह काम करते हैं। भारतीय और वियतनामी संस्कृति का मेल इसे एक अलग पहचान देता है।
लव इन वियतनाम की जान इसका अभिनय है। शांतनु माहेश्वरी ने मानव के किरदार को मासूमियत और गहराई से निभाया है। अवनीत कौर फिल्म के दूसरे हिस्से की आत्मा हैं, उनकी सहजता और इमोशनल जुड़ाव दर्शकों को बांध लेता है। कहंगन अपनी मौजूदगी से वियतनामी रंग भर देती हैं। वहीं राज बब्बर, फरीदा जी और गुलशन ग्रोवर जैसे अनुभवी कलाकार लव इन वियतनाम को और वास्तविक और प्रभावशाली बनाते हैं। लव इन वियतनाम का संगीत भी इसकी बड़ी ताकत है। जीना नहीं, पहली नजर और बड़े दिन हुए जैसे गाने कहानी का हिस्सा लगते हैं और दर्शकों की भावनाओं को छूते हैं।
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राहत शाह काजमी का निर्देशन परिपक्व और संवेदनशील है। राहत शाह काजमी ने कहानी को ईमानदारी से पेश किया है, जिसमें बॉलीवुड मसाले से ज्यादा भावनाओं की गहराई है। लव इन वियतनाम यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या प्यार का असली मकसद किसी की आख़िरी मोहब्बत बनना है या उसके पहले प्यार की यादों को संजोना। कुल मिलाकर, लव इन वियतनाम एक सादगी और भावनाओं से भरी फिल्म है। यह उन दर्शकों को खासतौर पर पसंद आएगी जो हल्की-फुल्की कहानी से ज़्यादा भावनाओं और रिश्तों को सिनेमा में जीना पसंद करते हैं।