यश ने बताया कैसे बना 'KGF: चैप्टर 1' में मां का इमोशनल सीन
मुंबई: आज से ठीक छह साल पहले भारतीय दर्शकों ने यश को KGF के जरिए पैन-इंडिया सुपरस्टार बनते देखा। रॉकी का किरदार, जिसे यश ने निभाया, सिर्फ बगावत और ताकत का प्रतीक नहीं था, बल्कि उसकी भावनाएं भी हर किसी के दिल को छू गईं। एक सीन जो हमेशा याद रहता है, वो है जब रॉकी एक परेशान मां की मदद करता है और कहता है कि दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा एक मां होती है। ये सीन इतना इमोशनल था कि रॉकी की असली सोच को इसने दिखा दिया, जो दर्शकों के दिल को छू गया।
हाल ही के एक इंटरव्यू में यश ने इस सीन के पीछे की क्रिएटिव प्रोसेस को लेकर दिलचस्प बातें शेयर कीं। उन्होंने बताया कि यह सीन असली स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था। पहले इस सीन में दिखाया गया था कि रॉकी एक बुजुर्ग महिला को सड़क पार करवाता है। लेकिन एडिटिंग सेशन के दौरान एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर रामा राव ने इसमें बड़ा बदलाव करने का सुझाव दिया। चूंकि रॉकी की मां उसकी कहानी का अहम हिस्सा थीं, तो इस खास पल में उनकी भावना को जोड़ना सही लगा।
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जब इंटरव्यू में एक्टर से पूछा गया कि अगर कोई क्रिएटिव चर्चा होती है, तो स्टीवन स्पीलबर्ग ने एक बार कहा था कि उनकी समस्या यह थी कि उन्हें कभी ‘ना’ नहीं कहा गया! क्या आप बराबरी के साथ बातचीत कर सकते हैं? जिसपर जवाब देते हुए यश ने कहा कि मैं हमेशा ऐसा माहौल देता हूं जहां लास्ट असिस्टेंट डायरेक्टर भी आकर मुझसे कह सके कि पिछला टेक अच्छा था, बॉस। मैं ऐसा इसलिए करता हूं क्योंकि जब आप सबको खुलकर बोलने का मौका देते हो, तब कई बार कमाल के आइडियाज सामने आते हैं। KGF में भी ऐसा ही हुआ।
मैं और प्रशांत एडिट देख रहे थे और उस सीन पर काम कर रहे थे। जो मशहूर सीन मां के साथ है, वो असल में स्क्रिप्ट में एक बुजुर्ग महिला के सड़क पार करने वाला सीन था। उस सीन में मैं गन निकालता हूं और इसे गन सीन के तौर पर शूट किया गया था। तो मेरे एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर, श्री रामराव, एडिट देख रहे थे। उन्होंने आकर कहा, ‘सारी फिल्म तो मां के बारे में है। इस सीन में मां क्यों नहीं हो सकती?’ ये सुनकर मैं और प्रशांत एक-दूसरे को देखने लगे।
हमें भी लगा, ये तो गजब का आइडिया है! फिर मैंने पूछा, ‘अब क्या करें?’ तो प्रशांत ने कहा कि चिंता मत करो, हम इस सीन को फिर से शूट करेंगे। इसके बाद हमने एक महिला को छोटे बच्चे के साथ बुलाया। फिर रॉकी अपनी मां को याद करता है और मैं बाहर जाकर उस महिला से बात करता हूं। उसी दौरान हमें एक डायलॉग चाहिए था, और डिस्कशन करते-करते वो लाइन बन गई। सब कुछ ऐसे ही अपने आप होता चला गया।
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