
IFP सीज़न 15 में हुए अनफिल्टर्ड खुलासे: अभिषेक बच्चन ने बताया बचपन में फिल्में देख करते थे पिता की नकल
IFP Season 15 Abhishek Bachchan Parvathy: क्रिएटिविटी और कल्चर पर केंद्रित दुनिया के प्रमुख सम्मेलन आईएफपी सीज़न 15 का मेहबूब स्टूडियो में शानदार समापन हुआ। इस मंच पर कई कलाकारों ने हिस्सा लिया और दिल खोलकर अपने जज्बात जाहिर किए।
मंच पर अभिषेक बच्चन, पार्वती तिरुवोथु, शाहिद कपूर, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और अन्य कलाकारों ने अपने काम और निजी अनुभवों को लेकर कई रॉ और अनफ़िल्टर्ड खुलासे किए, जिसने दर्शकों को रचनात्मकता की दुर्लभ अंतर्दृष्टि दी।
अभिषेक बच्चन ने अपने पिता अमिताभ बच्चन की फ़िल्मों को रीमेक करने पर पूछे गए सवाल का जवाब बेहद गर्व से दिया। उन्होंने कहा कि वह कभी भी अपने पिता की किसी भी फ़िल्म को दोबारा नहीं बनाना चाहेंगे। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा, “मैं अमिताभ बच्चन जैसा बनकर ही बड़ा हुआ हूँ। मैं बच्चन का सबसे बड़ा फ़ैन हूँ।” उन्होंने याद किया कि कैसे बचपन में वह दोस्त मिलकर घर के पिछवाड़े में पूरी फ़िल्म दोबारा करते थे और लड़ाई इस बात पर होती थी कि ‘बच्चन कौन बनेगा’। उन्होंने यह बात एक बेटे की तरह नहीं, बल्कि एक फ़ैन की तरह कही।
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एक्ट्रेस पार्वती तिरुवोथु ने अपनी सबसे बड़ी ऑन-सेट असुरक्षाओं को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि उन्होंने थिएटर या फ़िल्म स्कूल में पढ़ाई नहीं की, इसलिए उनकी बहुत सी असुरक्षाएँ काम करते-करते सीखने से आती हैं। एक पुलिस का किरदार निभाने के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया, “वर्दी इतनी कसी हुई होती थी कि मैं साँस नहीं ले पाती थी, हम परदे पर औरतों को ‘पूरी तरह से कसी हुई’ देखने के आदी हो चुके हैं। और मैं वो शख़्स हूँ जो हमेशा पूछती रहती हूँ, ‘लेकिन क्यों?'” उन्होंने कहा कि वह किसी किरदार की गरिमा की रक्षा के लिए ‘परेशानी का सबब’ बनने से नहीं डरती हैं।
शाहिद कपूर ने अपनी फ़िल्म ‘उड़ता पंजाब’ में टॉमी के किरदार की सच्चाई खोजने के अनुभव पर बात की। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने निर्देशक अभिषेक चौबे से पूछा था, “आप मेरे पास क्यों आए? मैं पीता नहीं हूँ। मैंने कभी नशा नहीं किया, मुझे नहीं पता यह कैसे करना है।” चौबे ने जवाब दिया, “लेकिन मुझे लगता है कि तुम एक अच्छे अभिनेता हो।” शाहिद ने बताया कि किरदार में उतरने के लिए उन्होंने 40 दिनों तक रात की ज़िंदगी जी, कम खाना खाया और ब्लैक कॉफ़ी पर गुज़ारा किया।
विजय वर्मा और फातिमा सना शेख ने एक्टर नसीरुद्दीन शाह की उपस्थिति और प्रभाव के बारे में बात की। विजय वर्मा ने कहा कि नसीरुद्दीन शाह की आवाज़ सुनकर ऐसा लगता है “जैसे भगवान आपसे सीधे बात कर रहे हैं…जैसे हॉलीवुड में मॉर्गन फ्रीमैन भगवान की आवाज हैं, और हमारे पास नसीरुद्दीन शाह भगवान की आवाज के रूप में हैं।” फातिमा ने उन्हें ‘स्वाभाविक रूप से एक शिक्षक’ बताया और याद किया कि कैसे एक बार रोने के सीन में उन्होंने फातिमा का हाथ अपनी नब्ज़ पर रखा ताकि वह दिल की धड़कन महसूस कर सकें और उस पल में जी सकें।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने ‘बैंडिट क्वीन’ को अब तक की सबसे प्रामाणिक फ़िल्म बताया। उन्होंने कहा कि मंच (थिएटर) अभिनय की मांग करता है, जबकि कैमरा केवल व्यवहार की खोज करता है। उन्होंने रंगमंच के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह अभिनेता को खुद को समझने में मदद करता है, और हर अभिनेता को भारत में रंगमंच के विविध रूपों का अनुभव करना चाहिए।






