सुजीत कुमार ( सो. सोशल मीडिया )
मुंबई: भोजपुरी से लेकर बॉलीवुड तक अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले लोकप्रिय एक्टर सुजीत कुमार का जन्म 7 फरवरी 1934 को वाराणसी में हुआ था। सुजीत कुमार को अपने दमदार एक्टिंग के लिए जाना जाता है। एक्टर ने अपने करियर में 150 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया। आज एक्टर की जयंती पर आइए जानते हैं सुजीत कुमार के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें।
सुजीत कुमार ने हीरो से ज्यादा विलेन बनकर लोकप्रियता हासिल की थी। सुजीत कुमार बॉलीवुड के ऐसे अभिनेता थे जिन्हें हीरो से ज्यादा विलेन के किरदार के लिए याद किया जाता है। फिल्मी पर्दे पर जहां उन्होंने मुख्य नायक के रूप में लोगों का दिल जीता, वहीं खलनायक के रूप में भी वह ज्यादा पॉपुलर रहे। उनकी शानदार एक्टिंग के लिए क्रिटिक्स भी कहने लगे थे कि ये एक्टर स्क्रीन पर हीरो को भी ‘खा’ जाता है।
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बड़े पर्दे पर सुजीत ने बॉलीवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना को कड़ी टक्कर दी थी। इसमें ‘आराधना’, ‘इत्तेफाक’, ‘अमर प्रेम’, आन मिलो सजना’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘मेरे जीवन साथी’, ‘रोटी’, ‘महबूबा’, ‘अवतार’, ‘आखिर क्यों?’ और ‘अमृत’ शामिल हैं। सुजीत कुमार ने 90 के दशक तक फिल्मों में काम किया। सुजीत ने अपने करियर में ज्यादातर सस्पेंस फिल्मों में काम किया, जिनमें से 1965 में रिलीज हुई ‘एक साल पहले’ और 1966 में रिलीज हुई ‘लाल बांग्ला’ उनकी लोकप्रिय फिल्में हैं।
सुजीत कुमार की भोजपुरी फिल्म ‘दंगल’ का लोकप्रिय गाना ‘काशी हीले पटना हीले’ आज भी पूरे भोजपुरी जगत में काफी लोकप्रिय है। सुजीत ने करीब 25 भोजपुरी फिल्मों में काम किया था। इनमें 1962 में ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’, 1981 में ‘सैंया मगन पहलवानी में’, 1983 में ‘सजाई दा मांग हमार’, 1984 में ‘पान खाए सैंया हमार’, 1986 की ‘गंगा जइसन भउजी हमार’, 1987 की ‘सजनवा बैरी भइले हमार’, 1989 की ‘तोपाये सिंदुरा दीप्त शंख’ और 1989 की ‘पतोह बिटिया’ शामिल है। उनकी आखिरी भोजपुरी फिल्मों में से एक 1991 की ‘गंगा कहे पुकार के’ थी।
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