मुंबई: अनुपम खेर इस समय अपनी ताजा फिल्म ‘विजय 69’ को लेकर सुर्खियों में हैं। इस फिल्म में अनुपम खेर ने एक ऐसे बुजुर्ग का किरदार निभाया है, जो रिटायरमेंट के बाद अपने सपने को पूरा करने की कोशिश करता है। लेकिन उसके परिवार, उसके दोस्त और उसके करीबी लोग इस बात का मजाक उड़ाते हैं, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद आमतौर पर लोगों का यह मानना होता है कि जिसका रिटायरमेंट हुआ है अब वह घर में बैठेगा, दवा खाएगा और वॉक पर जाएगा। लेकिन अपने सपने पूरे नहीं कर पाएगा। इसी कहानी को फिल्म में बेहतरीन तरीके से पेश किया गया है और इसे दर्शक काफी पसंद भी कर रहे हैं।
फिल्म ‘विजय 69’ में अपने किरदार पर बात करते हुए अनुपम खेर ने अपने पिता का भी जिक्र किया और उनके रिटायरमेंट के बाद का अनुभव बताया। अनुपम खेर ने नवभारत के साथ खास बातचीत में बताया कि उनके पिता जब रिटायर हुए थे, तब उनकी उम्र 58 साल की थी। लेकिन 3 साल तक वह रिटायरमेंट के बाद वाले डिप्रेशन के फेज से गुजरते रहे। अनुपम खेर का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। घर के बच्चे और बाकी सदस्य रिटायर हुए शख्स को यह जताने का प्रयास करते हैं कि अब आपके लिए करने के लिए कुछ बचा नहीं है। लेकिन हकीकत यह नहीं है रिटायरमेंट लेने के बावजूद हर शख्स को यह अधिकार है कि वह अपने सपने को पूरा कर सके।
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जब अनुपम खेर से पूछा गया कि आपकी फिल्म ये संदेश देती है कि 50 साल के बाद लोगों को बूढ़ा महसूस कराया जाता है। आपको लगता है कि एक बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में हमें खुद को कभी बूढ़ा नहीं समझना चाहिए? तो उन्होंने जवाब दिया, मैं आज बहुत सारे लोगों को देखता हूं आज कि वे ऐसा करते हैं। मेरे अपने पिता जब 58 साल की उम्र में रिटायर हुए थे तो उन्हें 3 साल तक रिटायरमेंट डिप्रेशन हुआ था। अरे उसके बाद तो जिंदगी शुरू होती है और लोग ऐसे लोगों को पूर्ण रूप से घर पर बिठा देते हैं। बुजुर्गों के बच्चे ही उन्हें ये महसूस कराते हैं कि वो बूढ़े हो गए हैं। हर चीज में उन्हें टोकते हैं। तो लोगों को इस माइंडसेट को बदलना चाहिए।