आरएसएस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बीजेपी की मदद के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। एक खास रणनीति के तहत संघ के पदाधिकारी एवं स्वयं सेवक खासकर प्रबुद्ध नागरिकों और क्षेत्र के प्रतिष्ठित हिंदू परिवारों से संपर्क कर रहे हैं और उनके बीच अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं।
आरएसएस के लोग मुंबई एमएमआर की गलियों में आम से लेकर खास की हैसियत रखनेवाले हिंदुओं के मन में सनातन प्रेम की अलख जगाने के बहाने बीजेपी को वोट के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ इस घोष वाक्य के जरिए लोगों को यह बता रहे है कि हिंदुओं की एकजुटता क्यों जरूरी है? उन्हें खुद यह सोचने को विवश कर रहे हैं कि सनातन की रक्षा के लिए देश को किसकी जरूरत है?
लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने आरएसएस को लेकर विवादित बयान दिया था। जिसके कारण आरएसएस (संघ परिवार) में नाराजगी देखने को मिली थी। बीजेपी और उसके गठबंधन में शामिल सियासी दलों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था।
लेकिन इससे कांग्रेस का मजबूत होना संघ को नागवार लगा है। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी की ओर से भी संघ से संबंधों को सुधारने की व्यापक कोशिशें की गई। जिसके परिणाम स्वरूप अब संघ की टीम अभिजात वर्ग पर खास ध्यान दे रही है। क्योंकि इस वर्ग के लोग ज्यादातर मतदान और धर्म आदि के प्रति उदासीन रहते हैं।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के लोग बीजेपी का जिक्र किए बिना हिंदुओं को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंदुस्तान में मजबूत बीजेपी क्यों जरूरी है? अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए संघ के लोग पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं की दयनीय अवस्था की जानकारी देते हैं, और बता रहे हैं कि भारत में भी मुसलमानों की बढ़ती आबादी के कारण वैसे ही हालात होते जा रहे हैं।
दिवाली पर नई मुंबई में हिंदू परिवारों को रोशनी सजावट आदि से रोकने के मुसलमानों के प्रयास, नवरात्रि के दौरान मालवणी व दूसरे हिस्सों में हुए दंगे, रामनवमी की शोभायात्रा पर कट्टरपंथियों के हमले का उदाहरण देकर यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि बढ़ती आबादी के कारण मुसलमानों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए सनातन का समर्थन करनेवाली सरकार की देश को जरूरत है।
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