नवभारत के सवालों का जवाब देते आशीष शेलार
नवभारत डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की गहमागहमी अब चरम पर पहुंच है। उम्मीदवारों का प्रचार जोर पकड़ चुका है। 9 दिन बाद मतदान होने हैं। ऐसी व्यस्तताओं के बीच मुंबई के 36 विधानसभा क्षेत्रों में महायुति के उम्मीदवारों की जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेकर चलने वाले बीजेपी के मुंबई प्रदेश अध्यक्ष एवं बांद्रा-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार आशीष शेलार शनिवार को सदिच्छा भेंट हेतु नवभारत कार्यालय पहुंचे। उन्होंने महायुति की चुनावी तैयारियों, बंटेंगे तो कटेंगे से लेकर नवाब मलिक, अमित ठाकरे और अपने चुनाव प्रचार से संबंधित तैयारियों से संबंधित सवालों का बेबाकी से जवाब दिया।
जवाब- चुनाव आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है। पहले दो ढाई पड़ाव मसलन नामांकन दाखिल होने से पहले, नामांकन दाखिल होने के बाद, नाम वापस लेने और चुनाव प्रचार तक हर मामले में बीजेपी और महायुति विपक्ष से काफी आगे रही है। फिर चाहे बात उम्मीदवारों की घोषणा की हो, नामांकन दाखिल करने की, हम आगे रहे।
विरोधी गठबंधन की तुलना में हमारे गठबंधन में कम मतभेद देखने को मिले। अब आखिरी पड़ाव में जब हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरे नेता चुनाव प्रचार के लिए आए हैं तो माहौल पूरी तरह से महायुति के पक्ष में हो गया है। इससे साफ हो गया है कि राज्य में महायुति की सरकार फिर एक बार बननी तय हो गई है।
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सवाल- आप तीसरी बार बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। आपने ढेरों काम किए होंगे और कई काम ऐसे हैं जो आप भविष्य में करना चाहेंगे
जवाब- मैं विधानसभा चुनाव दो बार मैं चुनाव जीत चुका हूं और तीसरी बार मैदान में हूं। बांद्रा विधानसभा क्षेत्र में नगरसेवक के तौर पर 23 वर्षों से जनता की सेवा कर रहा हूं। बांद्रा-पश्चिम, खार पश्चिम का पूरा इलाके मेरे लिए मेरे परिवार जैसा ही है। कोई भी सामान्य व्यक्ति बिना किसी जाति, धर्म के भेद के मुझे फोन कर सकता है, मेरे कार्यालय पर आकर मिल सकता है।
मैं उनकी समस्या सुनता हूं और उसके समाधान की तुरंत कोशिश करता हूं। 30 वर्षों में मेरे खिलाफ एक भी आरोप कोई लगा नहीं पाया। मैंने अपने लोगों की सुरक्षा और सुविधा के लिए हर जरूरी काम करने की कोशिश की है। बांद्रा में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन बनवाया, खस्ताहाल खार पुलिस स्टेशन को नया बनवाया, दो पुलिस क्वाटर बनवाए, बांद्रा, खार रेलवे स्टेशनों का नूतनीकरण, सौंदर्यीकरण, प्लेटफार्मों की मरम्मत, लिफ्ट, स्वचालित सीढियां लगवाई।
स्वास्थ्य की बात करें तो बांद्रा भाभा अस्पताल में प्रसूति वार्ड नहीं था। हमने 1 लाख 20 हजार फुट की नई बिल्डिंग बनवाई है, जिसमें आईसीयू, एनआईसीयू, बच्चों का वार्ड, प्रसूति गृह उपलब्ध कराया जाएगा। गरीबों के लिए बांद्रा में 165 बैड के कैंसर अस्पताल शुरू हो गया है। रिक्लेमेशन, कार्टर रोड, बैंडस्टैंड का सौंदर्यीकरण हमने कराया है। खार डायग्नोस्टिक सेंटर मिलन डायग्नोस्टिक सेंटर, मिलन सबवे, खार सबवे पर जलजमाव रोकने के लिए ठोस उपाय ऐसे असंख्य काम मैने कराए हैं।
मैंने बांद्रा में रहने वाले उत्तर भारतीय, ईसाई समाज, कोकण और गोवा के लोगों के लिए बांद्रा टर्मिनस मडगांव ट्रेन शुरू कराई है। मुरादाबाद, रुद्रपुर के लिए भी मैने ट्रेन शुरू कराई। इस तरह मैंने लोगों की मांग और जरूरत के अनुसार काम किया है और आगे भी करूंगा। अगले पांच वर्षों में लोगों के पीने के पानी की समस्या हल करूंगा और झोपडपट्टी वासियों का इसी इलाके में पुनर्वास कराउंगा।
सवाल- महायुति सरकार में सत्ता में भागीदारी व सीटों के बंटवारे तक बीजेपी को घाटा उठाना पड़ा है। अच्छी स्थिति के बाद भी गठबंधन के पीछे बीजेपी की क्या मजबूरी है?
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जवाब- मुझे मजबूरी शब्द पर आपत्ति है। परिस्थितियों के अनुसार चुनावी रणनीति बनाना और जीत की ओर बढ़ने की कोशिश करना जरूरी होता है। तीन दल हमें पराजित करने के लिए एकजुट हुए हैं और उनके पीछे एक शहरी नक्सलवादियों की टीम खड़ी है। ये सब मिलकर फेक नैरेटिव के सहारे मोदी, बीजेपी को रोकने के लिए कुछ भी करने की तैयारी कर रहे हैं। वो लोग अप्राकृतिक गठबंधन भी करेंगे।
कांग्रेस, शरद पवार और कम्युनिटी के साथ शिवसेना आएगी। ऐसी राजनीति परिस्थितियों में अप्राकृतिक टोली को परास्त करने के लिए राष्ट्रभक्तों का साथ आना जरूरी हो जाता है। ऐसे में यदि कुछ सीटें कम या ज्यादा होती हैं तो यह राजनीतिक रणनीति का एक हिस्सा है। इसे मजबूरी कहना गलत होगा। हम शत प्रतिशत बीजेपी के लक्ष्य से न हटे हैं न ही हटेंगे। लेकिन शहरी नक्सलवादियों को हम कामयाब नहीं होने देंगे।
सवाल- आप माहिम में अमित ठाकरे को समर्थन की बात करते हैं जो कि महायुति में नहीं हैं तो वहीं मानखुर्द में नवाब मलिक को महायुति का उम्मीदवार नहीं मानते हैं। ये विरोधाभास
जवाब- मैंने अमित ठाकरे को समर्थन की बात उम्मीदवारी वापस लेने की मियाद से पहले कही थी। अब वह वक्त गुजर चुका है। अब माहिम में हम महायुति के साथ हैं। रही बात मानखुर्द की तो हम नवाब मलिक के विरोधी थे, हैं और विरोध करते रहेंगे। हम नवाब को महायुति का उम्मीदवार नहीं मानते हैं। भले ही नवाब कहें कि मुझे डोनाल्ड ट्रंप का आशीर्वाद प्राप्त है।
सवाल- लोकसभा चुनाव में हार के बाद आपकी सरकार ‘लाडली बहन’ योजना लाई। आप लोग विकास की बात करते हैं, फिर अचानक ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की जरूरत क्यों पड़ गई?
जवाब- चुनाव एक युद्ध है। इसे रणनीति के आधार पर लड़ना पड़ता है। हम एकता के समर्थक हैं। मुझे बताइए कि राहुल गांधी को जातीय जनगणना का आधार क्यों चाहिए? ओबीसी समाज के बारे में पीएम मोदी भी कह रहे हैं कि इकट्ठा रहकर ओबीसी समाज आरक्षण का लाभ ले रहा है।
एससी के लोग एक साथ आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। आप जनगणना करके, इस समाज को कम मिला, उसे अधिक मिला। कहकर उन्हें विभाजित करोगे। झगड़ा लगाओगे। यही तो विघटनवादी विचारधारा है। उद्धव ठाकरे, राहुल गांधी और शरद पवार को शहरी नक्सलवादियों की विचारधारा पर चलना है। आज कल उद्धव ठाकरे को उनके शिवसैनिक जय महाराष्ट्र के बजाय लाल सलाम कह रहे हैं।
उद्धव हुतात्मा चौक की बजाय लेनिनवाद की बात करते हैं। इससे देश को बचाने के लिए हमने नारा दिया है कि बंटेंगे तो कटेंगे। इंदिरा गांधी ने भी कहा था, हमें एक रहना है। तो यदि हमने कहा कि एक रहोगे तो सेफ रहोगे। तो गलत कैसे हुआ?
सवाल- ‘लाडली बहन’ को मविआ ने तीन हजार और भाइयों को 4 हजार देने की बात कही है
जवाब- उन्होंने पहले लाडली बहन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा था कि सरकारी तिजोरी खाली हो जाएगी। कांग्रेस के लोग कोर्ट तक चले गए। जब लोगों में नाराजगी बढ़ी तो विरोधी भी पैसा देने की बात कहने लगे हैं। लेकिन जिन राज्यों में इनकी सरकार है, वहां ये नहीं पैसे नहीं रहे हैं। राहुल गांधी के खटा-खट का क्या हुआ? इनकी बातों पर विश्वास कौन करेगा? जो दिया है वही दे सकता है। 1500 को 2100 रुपए शिंदे, फडणवीस और पवार सरकार ही कर सकती है।
सवाल- कल अमित शाह ने देवेंद्र फडणवीस को जिताने की बात कही, जिसका अर्थ यह लगाया जा रहा कि यदि चुनाव बाद महायुति की सरकार बनी तो अगला सीएम देवेंद्र फडणवीस बनेंगे
जवाब- कोई कुछ भी अर्थ लगाए। अमित शाह की बात एकदम स्पष्ट है। महाराष्ट्र में एक बार फिर से बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार) की सरकार बनाना है। और बीजेपी के कार्यकर्ताओं से फडणवीस को जिताने की अपील करने में गलत क्या है। शिवसेना के कार्यकर्ताओं से एकनाथ शिंदे को जिताने तथा राकां के कार्यकर्ताओं से अजीत पवार को जिताने की ही बात कही जाएगी। लेकिन सरकार महायुति की ही बनेगी।
जवाब- उनकी इच्छा होगी तो उन्हें धन्यवाद। लेकिन महायुति की राजनीति उनकी इच्छा के अनुसार नहीं चलती है।
जवाब- तस्वीर बिलकुल साफ होती जा रही है। बालासाहेब के कट्टर हिंदुत्ववादी विचारों की समर्थक सीएम शिंदे की शिवसेना हमारे साथ है। महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (अजित पवार) और आरपीई (आठवले) की ही सरकार बनेगी। आप देखेंगे कि जनता का स्पष्ट जनादेश आएगा। इसलिए यदि, किंतु, परंतु की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
जवाब- हमारे तीनों दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि सीएम शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे और स्पष्ट बहुमत के बाद विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री को लेकर दिल्ली के मार्गदर्शन के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। दुविधा विपक्षी गठबंधन में है। हमारे यहां तस्वीर साफ है।
जवाब- हर चुनाव में चुनौती होती है। मैं किसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कभी टिप्पणी नहीं करता। यह मेरे स्वभाव में नहीं है। मैं बस सकारात्मक कामों में विश्वास रखता हूं।