प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: गिरगिट कैसे रंग बदलता है, इसका उदाहरण आपर गड़चिरोली के राजनीतिक गलियारे में देख सकते हैं। आज तक दिनदलितों के समाजसेवी के रूप में स्वयं को समाज में ‘प्रोजेक्ट’ करने वाले कुछ अतिउत्साही व इच्छुक अब घर में बैठे हैं। जिससे इन लोगों को सही में दिनदलितों के प्रति संवेदना है क्या? ऐसा सवाल पूछा जा रहा है। महाराष्ट्र राज्य विधानसभा का चुनाव घोषित होने के पूर्व से ही गड़चिरोली जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में अनेक राजनीतिक लोगों ने अपनी तैयारी शुरू की थी।
अहेरी, आरमोरी व गड़चिरोली तीनों क्षेत्र में यह दिखाई दिया। इसमें नए के साथ पुराने नेताओं का भी समावेश था। सभी राजनीतिक दलों का स्पष्ट चित्र था। अपना टिकट पक्का करने के प्रयासों को लेकर खेत परिसर में पहुंचकर समय आने पर किचड़ से गुजरकर अनेक गरीबों की समस्याओं पर आवाज उठाना, विभिन्न आंदोलन के माध्यम से प्रशासकिय यंत्रणा व अपने शीर्षस्थ नेतृत्व का ध्यानाकर्षण करने का प्रयास किया था। लेकिन अब उम्मीदवारी निश्चित होने के बाद अधिकांश इच्छुक हाथ पर हाथ धर घर में बैठ गए हैं।
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गड़चिरोली विधानसभा क्षेत्र में महायुति की ओर से भाजपा के नए नेतृत्व के रूप में डा। मिलिंद नरोटे को टिकट दिया गया है। जिससे आहत हुए भाजपा के वर्तमान विधायक डा। देवराव होली ने खुली बगावत की है। उन्होंने 4 तारीख तक राह देख, ऐसा संदेश सभी को दिया है। जिससे अन्य भाजपा के इच्छूक गायब हुए है। महाविकास आघाड़ी की ओर से कांग्रेस द्वारा इस क्षेत्र में गड़चिरोली जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष मनोहर पाटील पोरेटी को मैदान में उतारा गया है। उनके खिलाफ एड। विश्वजित कोवासे, डा। सोनल कोवे ने बगावत की है। वहीं अन्य कांग्रेस के इच्छूक गायब हुए है।
आरमोरी विधानसभा क्षेत्र में महायुति की ओर से भाजपा के वर्तमान विधायक कृष्णा गजबे को फिर से टिकट दिया गया। महाविकास आघाड़ी की ओर से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में रामदास मसराम के नाम मुकर किया गया। जिससे इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छूक होने वाले करीब एक दर्जन से अधिक कांग्रेसी अब मायूस घर में नजर आ रहे है। अहेरी विधानसभा क्षेत्र में महायुति ने एनसीपी अजित पवार गुट के वर्तमान विधायक तथा मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम को टिकट दिया है। उनके खिलाफ उनकी ही कन्या तथा गड़चिरोली जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष भाग्यश्री आत्राम यह राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार गुट से मैदान में उतरी है। भाजपा की ओर से टिकट नहीं मिलने से नाराज हुए पूर्व राज्यमंत्री राजे अंबरीशराव महाराज आत्राम ने भी खुला आह्वान दिया है। अन्य इच्छूक अब घर में बैठे है।
चुनावी दौर आने पर राजनेता हमेशा सक्रिय होते हैं। लेकिन अन्य कालावधि में उन्हें आम लोगों के प्रश्नों से कुछ लेना देना नहीं होता है। ऐसा जनता का अनुभव है। आम लोगों के मुद्दे उठाने का दिखावा अब जनता को नजर आ रहा है। इस बार भी जिले में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है।
जिले के तीनों विस क्षेत्र में इस चुनाव में इच्छूकों की भीड़ बढ़ गई है। अब बागीयों ने पटाखे फोड़ना भी शुरू किया है। वहीं दुसरी ओर जिन्हें टिकट नहीं मिला है, वे भी अपना प्रतिस्पर्धी कैसे पराजित होगा, इस पर विचारमंथन शुरू किया है। इसके लिए गुप्त बैठके शुरू है। वहीं वित्तीय व्यवहार का बिजगणित का अध्ययन भी किया जा रहा है।
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