(डिजाइन फोटो)
बुलढाणा: महाराष्ट्र में चुनावी संग्राम का बिगुल बजने ही वाला है। ऐसे में सभी दलों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी। सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी सीट बंटवारे को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं। पार्टियों ने अपने-अपने लिए सीटें और उम्मीदवार खोजना शुरू कर दिया हैं। चुनावी बिगुल बजते ही राजनीतिक दलों अपने-अपने प्यादों को चुनावी समर में उतारेगा। ऐसे हम भी इसकी तैयारी कर रहे हैं और आप तक हर सीट का विश्लेषण पहुंचा रहे हैं।
चुनावी विश्लेषण की इस कड़ी में हम महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पहुंच चुके हैं। आज हम बात करेंगे बुलढाणा संसदीय क्षेत्र में आने वाली चिखली विधानसभा सीट की जहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा अब तक किसी भी पार्टी का खाता नहीं खुला हैं। यह सीट 1962 में अस्तित्व में आई तब से अब तक आठ बार कांग्रेस और चार बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
चिखली विधानसभा सीट बुलढाणा जिले में स्थित सात निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह बुलढाणा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यहां भारतीय जनता पार्टी के श्वेता महाले मौजूदा विधायक हैं। उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लगातार दो बार के विधायक राहुल बोंद्रे को हराकर यहां से जीत दर्ज की थी।
यह भी पढ़ें:– बुलढाणा विधानसभा सीट: शिवसेना और कांग्रेस में सीधी लड़ाई, इस बार कौन खाएगा सत्ता की मलाई
चिखली विधानसभा सीट पर 2019 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार लगभग 2 लाख 95 हजार मतदाता है जिसमें 18.44 फीसदी अनुसूचित जाति व 3 फीसदी के करीब एसटी वोटर्स हैं। वहीं चिखली विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 13.2 फीसदी है। दलीत, आदिवासी और मुस्लिम मतदाता यहां उम्मीदवार की जीत और हार में अहम भूमिका निभाते हैं।
यह भी पढ़ें:– मलकापुर विधानसभा सीट: BJP के गढ़ में कांग्रेस ने की थी सेंधमारी, इस बार हो रही वापसी की तैयारी?
इस सीट के चुनावी इतिहास को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि इस बार भी यहां कांग्रेस और भाजपा में ही सीधी टक्कर होगी। 1980 के बाद यहां जो भी विधायक बना उसे चिखली की जनता ने कम से कम दो मौके दिए। ऐसे में मौजूदा विधायक श्वेता महाले को यहां की जनता दूसरा मौका देगी या इस रिवाज को तोड़कर किसी और पक्ष में अपना जनादेश देगी, यह देखना दिलचस्प होगा।