राहुल गांधी व अखिलेश यादव (सोर्स-सोशल मीडिया)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेक सूबे का सियासी माहौल गरमाया हुआ है। सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक कहा यह जा रहा है कि कांग्रेस इन उपचुनावों से दूरी बना सकती है। ख़बर तो यह भी है कि कांग्रेस और सपा के बीच दरार आ गई है। सियासी जानकार इसे हरियाणा विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
यूपी की 10 खाली विधानसभा सीटों में से 9 पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। जिसमें से 7 सीटों पर सपा ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इनमें वह सीटें भी शामिल हैं जिन पर कांग्रेस दावा ठोंक रही थी। जिसके चलते कहा यह जा रहा है कि सपा और कांग्रेस के रिश्तों में खटास आ गई है और कांग्रेस इन उपचुनावों से दूरी बना सकती है।
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सपा फूलपुर और मंझवा सीट पर भी प्रत्याशी उतार चुकी है। जबकि इससे पहले चर्चा थी कि कांग्रेस तीन सीटें चाहती है। जिसमें फूलपुर और मंझवा का नाम सबसे आगे था। फूलपुर सीट तो कांग्रेस का पुराना गढ़ रही है। अपने गढ़ में लौटना हर किसी की ख्वाहिश होती है। लेकिन सपा ने कांग्रेस की यह ख्वाहिश पूरी होने से पहले ही तोड़ दी है। वहीं मंझवा में भी सपा ने प्रत्याशी उतार दिया है।
क्रम संख्या
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उम्मीदवार का नाम
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विधानसभा सीट
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1
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तेज प्रताप सिंह यादव
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करहल
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2
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शोभावती वर्मा
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कैथरी
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3
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नसीम सोलंकी
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सिसामऊ
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4
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अजीत प्रसाद
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मिल्कीपुर (अयोध्या)
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5
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मुस्तफा सिद्दीकी
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फुलपुर
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6
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ज्योति बिंद
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मझवां
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7
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सुम्बुल राणा
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मीरापुर
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सपा ने जबसे उम्मीदवारों का ऐलान किया है तबसे सियासी चौपालों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। एक धड़ा यह कह रहा कि सपा ने कांग्रेस से हरियाणा का बदला यूपी में लिया है। यूपी में जब सपा कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती थी तब कांग्रेस ने यह कह दिया था कि राज्य में सपा का जनाधार नहीं है। वहीं, हरियाणा चुनाव नतीजों के दूसरे दिन ही सपा की तरफ से उम्मीदवारों का ऐलान करना भी यही इशारा करता है।
हालांकि, दूसरी तरफ कांग्रेस अभी भी कह रही है कि सपा से हमारी 5 सीटों के लिए बातचीत जारी है। बाकी राष्ट्रीय नेतृत्व आखिरी फैसला लेगा। कहा जा रहा है कि सपा की तरफ से कांग्रेस को दो सीटें दी जा रही हैं। इसका जिक्र रविदास मेहरोत्रा और राजेन्द्र चौधरी अपने-अपने बयानों में कर चुके हैं। रविदास मेहरोत्रा ने तो हरियाणा चुनाव की बात भी कही थी कि अगर वहां सपा को साथ लेकर चुनाव लड़ते तो सरकार बन जाती।
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सूत्रों का कहना है कि जो दो सीटें कांग्रेस को ऑफर की जा रही हैं उनमें गाजियाबाद और खैर सीट शामिल है। 2022 में यह दोनों सीटें भाजपा ने जीती थी। कांग्रेस के लिए यहां जीत दर्ज करना आसान नहीं होगा। यही वजह है कि उपचुनाव से वह दूरी बनाना चाहती है। बाकी क्रिकेट से कहीं ज्यादा अनिश्चितताओं का खेल राजनीति है। इसमें कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है!