
महायुति (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की मतगणना के लगभग 13 दिनों के बाद महाराष्ट्र की महायुति सरकार का बहुप्रतीक्षित शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को संपन्न हुआ। इसके बाद जहां मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ रही है। तो वहीं मंत्री बनने के लिए इच्छुक विधायक जुगाड़ बंदी में जुट गए हैं।
लेकिन, नागपुर में होनेवाले नई सरकार के शीतकालीन सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार की कोई संभावना नजर ही नहीं आ रही है। अर्थात सरकार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जल्दबाजी के मूड में नहीं है। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि महायुति में मंत्री पद का फार्मूला तय हो गया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर नाटकीय उलटफेर देखने को मिला था। करीब दो सप्ताह तक चली रस्साकशी के बाद उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गुरुवार को मुख्यमंत्री बन गए तो वहीं गुरुवार से पहले ‘मुख्यमंत्री’ रहे एकनाथ शिंदे ने उप मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
हालांकि, शिंदे मुख्य रूप से उपमुख्यमंत्री बनने के लिए आसानी से तैयार नहीं हुए। इसके लिए शिंदे की शिवसेना के नेताओं के साथ-साथ बीजेपी के प्रमुख नेताओं में शामिल गिरीश महाजन, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले सहित खुद देवेंद्र फडणवीस तक को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन फडणवीस, शिंदे और अजित पवार के शपथ ग्रहण के बाद भी महायुति का पेंच खत्म नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि अब मंत्री पद को लेकर महायुति में नाराजगी का ड्रामा देखने को मिल सकता है।
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तीनों पार्टियों में मंत्री पद के कई दावेदार मौजूद हैं। इनमें पुराने नेताओं के साथ-साथ कई ऐसे प्रतिभावान युवा विधायक भी मौजूद हैं, जो मंत्री बनने का दम रखते हैं। लेकिन संविधान में दिए गए प्रावधानों के अनुसार, किसी भी राज्य की विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15 फीसदी लोग ही मंत्री बनाए जा सकते हैं।
अत: नियम के अनुसार 288 विधानसभा सीटोंवाली महाराष्ट्र विधानसभा में औसतन 6 से 7 विधायक पर एक मंत्री के फार्मूले के आधार पर अधिकतम 43 मंत्री बनाए जा सकते हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी को 22, शिंदे की शिवसेना को अधिकतम 12 तो वहीं अजित की राकां को 9 मंत्री पद मिलने तय माने जा रहे हैं।
फिलहाल विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के 132 विधायकों को जीत मिली है। तो वहीं 4 निर्दलीय विधायक भी बीजेपी के पाले में आ गए हैं। इनमें कई ऐसे विधायक भी मौंजूद हैं जो तीन या उससे अधिक बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं लेकिन, मंत्री बनने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
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सूत्रों का कहना है कि शिवसेना में 2022 में हुई बगावत के दौरान साथ देनेवाले कई विधायकों को एकनाथ शिंदे ने मंत्री बनाने का वादा किया था। ऐसा ही वादा राकां में बगावत के समय साथ देनेवाले विधायकों से अजित पवार ने भी किया था। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पिछली महायुति सरकार में शिवसेना और राकां के जिन विधायकों को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला था, उनमें से ज्यादातर विधायक इस बार आस लगाए बैठे हैं। ऐसे में फडणवीस सरकार को मंत्रिमंडल के गठन में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।






