
भारत की रक्षा प्रणाली। इमेज-सोशल मीडिया
Multi Layer Integrated Air Defense: भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को हवाई खतरों से बचाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत दिल्ली-एनसीआर को मिसाइलों, ड्रोन और तेज गति वाले विमानों जैसे दुश्मन के हवाई खतरों से बचाने के लिए अपनी स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली तैनात करने की दिशा में आगे बढ़ रहा।
वरिष्ठ रक्षा सूत्रों ने के अनुसार बहुस्तरीय एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) दिल्ली-एनसीआर की सुरक्षा के लिए स्वदेशी वायु रक्षा मिसाइलों, जैसे-त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली के साथ-साथ अन्य संबंधित उपकरणों पर आधारित होगी।
रक्षा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट पर ऐसे समय में विचार कर रहा, जब पाकिस्तान ने मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को निशाना बनाने की कोशिश की थी। स्वदेशी हथियार प्रणाली तैनात करने की योजना घरेलू रक्षा प्रणालियों के लिए बड़ा बढ़ावा होगी, क्योंकि भारत ने पहले अमेरिका निर्मित नेशनल एडवांस्ड सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम-II (NASAMS-II) तैनात करने की योजना बनाई थी।
भारत ने वाशिंगटन डीसी शहर और व्हाइट हाउस की सुरक्षा करने वाली अमेरिकी प्रणाली की बिक्री के लिए बातचीत शुरू कर दी थी। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने अमेरिकियों के साथ इस सौदे को आगे नहीं बढ़ाया, क्योंकि वे बहुत ज्यादा कीमत मांग रहे थे। आईएडीडब्ल्यूएस दिल्ली-एनसीआर में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा और यह भारतीय वायु सेना की जिम्मेदारी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) उन उत्पादन एजेंसियों के साथ काम करेगा, जो नेटवर्किंग और कमान एवं नियंत्रण पर काम करेंगी।
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सूत्रों का कहना है कि ऐसी जटिल वायु रक्षा प्रणाली के लिए विशेष प्रणालियों की जरूरत होती है। डीआरडीओ ने क्यूआरएसएएम, मध्यम दूरी की एसएएम जैसी कई वायु रक्षा प्रणालियों का सफलतापूर्वक विकास किया और कुशा परियोजना के तहत लंबी दूरी की एसएएम विकसित करने पर काम कर रहा है। भारत एस-400 सुदर्शन वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों के दो शेष स्क्वाड्रनों को प्राप्त करने के लिए भी काम कर रहा है। इसके साथ ही एस-500 वायु रक्षा प्रणाली के साथ-साथ अधिक एस-400 के लिए रूसी प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है।






