रेखा गुप्ता, (दिल्ली सीएम)
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार जल्द ही दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लेकर आने की योजना बना रही है। इसको लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी की गठन की गई है। सीएम ने इस कमेटी को नई पॉलिसी का ड्रॉफ्ट तैयार करने के लिए 30 जून तक का समय दिया है। इससे पहले पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार ने 2021 में एक नई आबकारी नीति लागू की थी, जो कि काफी विवादों में रहा। उस पॉलिसी में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे। इसको लेकर सीबीआई और ईडी ने अलग-अलग मामले दर्ज किए।
इसी विवाद में दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को जेल जाना पड़ा। हालांकि, अब ये जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं। आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी इस मामले में जेल जा चुके हैं।
दिल्ली सरकार की नई शराब नीति की जांच शुरू होने के बाद, 2022 में आप सरकार ने इसे वापस लेते हुए फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी को लागू कर दिया। वर्तमान समय में दिल्ली में शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित की जा रही हैं। दिल्ली की नई सरकार ने इस बार आबकारी नीति को लेकर ज्यादा सावधानी बरतने का फैसला किया है। देश के अन्य राज्यों से बेहतर नियमों से सीख लेते हुए, नई पॉलिसी बनाई जा रही है। इस नीति में सरकार के राजस्व को बढ़ावा देने के साथ-साथ गैरकानूनी शराब बिक्री पर कंट्रोल, उपभोक्ता संरक्षण और सामाजिक संतुलन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर एक बार ड्राफ्ट तैयार हो जाने पर इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा। रेखा गुप्ता की अगुवाई वाली सरकारी की यही कोशिश रहेगी की पिछली शराब नीति को लेकर जिस तरह से विवाद हुआ था वैसे विवादों से बचा जाए।
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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आबकारी नीति को लेकर पिछली सरकार पर निशाना साधा और उसे भ्रष्ट, पक्षपातपूर्ण और जनविरोधी बताया। उन्होंने कहा कि उस नीति के माध्यम से कुछ चुनिंदा निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जबकि राजस्व को नुकसान हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार की नीति न तो कानूनी प्रक्रिया का पालन करती थी, न ही उसमें जनता के हितों की कोई प्राथमिकता दिखाई गई। नीति को लेकर उठे गंभीर सवालों और जांच एजेंसियों की कार्रवाइयों के चलते आखिरकार उस नीति को वापस लेना पड़ा, जो स्वयं उसकी विफलता का प्रमाण है। भ्रष्ट आबकारी नीति के चलते पूर्व मुख्यमंत्री व सरकार के मंत्रियों को जेल भी जाना पड़ा।