उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सोर्स: (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेदांत कांग्रेस को संबोधित किया इस दौरान उन्होंने हिंदू और सनातन कह जाने पर हो रहे विवादों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्व एक व्यवस्थित और भयावह तरीके से काम करते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेदांत कांग्रेस को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस देश में सनातन और हिन्दू का जिक्र कर दे तो समझ से परे चौंकाने वाली प्रतिक्रिया सामने आती है। यह विडंबना और पीड़ा की बात है।
उपराष्ट्रपति ने धनखड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि भारत में सनातन और हिंदू के जिक्र भर से ‘गुमराह’ लोगों की ओर से चौंकाने वाली प्रतिक्रिया सामने आती है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग शब्दों की गहराई और उनके गहरे अर्थ को समझे बिना ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, वे ‘खतरनाक पारिस्थितिकी तंत्र’ द्वारा संचालित ‘गुमराह’ आत्माएं हैं।
Ironically and painfully, in this country, any reference to #Sanatan or #Hinduism often evokes baffling reactions beyond comprehension.
Instead of delving into their profound meaning, people tend to react impulsively, as if at the drop of a hat. Can ignorance reach a greater… pic.twitter.com/Vm5ZjDG6XO
— Vice-President of India (@VPIndia) January 3, 2025
उपराष्ट्रपति ने कहा कि “इन शब्दों की गहराई, उनके गहरे अर्थ को समझने के बजाय, लोग आवेग में आकर प्रतिक्रिया दे देते हैं।” धनखड़ ने ऐसे लोगों को ‘गुमराह आत्माएं’ करार दिया। उन्होंने कहा कि “ऐसे व्यक्ति खतरनाक पारिस्थितिकी तंत्र से संचालित होते हैं जो न केवल समाज के लिए बल्कि खुद के लिए भी खतरा है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब वैश्विक विधाएं वेदांत दर्शन को अपना रही हैं ऐसे समय में आध्यात्मिकता की इस भूमि में कुछ ऐसे लोग हैं जो वेदांत और सनातनी ग्रंथों को प्रतिगामी कहकर खारिज कर देते हैं। खारिज करने की यह प्रवृत्ति अक्सर विकृत, औपनिवेशिक मानसिकता, हमारी बौद्धिक विरासत की अक्षम समझ से उत्पन्न हुई है। ऐसे तत्व एक व्यवस्थित और भयावह तरीके से काम करते हैं।”
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जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ तत्व संरचित और भयावह तरीके से कार्य करते हैं। उनका डिज़ाइन हानिकारक है। वे अपनी विनाशकारी विचार प्रक्रियाओं को धर्मनिरपेक्षता के विकृत संस्करण के साथ छुपाते हैं। इसे ढाल की तरह इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों का पर्दाफाश करना हर भारतीय का कर्तव्य है।