दिल्ली में बिहार-यूपी से ताल्लुक रखने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 20 प्रतिशत है जो किसी भी अन्य समुदाय की तुलना में काफी अधिक है। बिहार और यूपी से आने वाले मतदाता 29 सीटों पर जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दिल्ली चुनाव में पूर्वांचल मतदाताओं को लेकर छिड़ा महासंग्राम
राजधानी दिल्ली में बिहार-यूपी से ताल्लुक रखने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 20 प्रतिशत है जो किसी भी अन्य समुदाय की तुलना में काफी अधिक है। बिहार और यूपी से आने वाले मतदाता 29 सीटों पर जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिसकी वजह से आगामी विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल पूर्वांचली वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
दिल्ली में हो रहे सियासी दंगल में बिहार और उत्तर प्रदेश के वोटरों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच महासंग्राम छिड़ गया है। हर कोई अपनी तरफ से उन्हें लुभाने और मनाने की कोशिश में लगा हुआ है। जिसकी वजह से एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी लगातार जारी है।
जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी बीजेपी पर पूर्वांचली वोट कटवाने का आरोप लगा रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी पूर्वांचलियों के अपमान को लेकर अरविंद केजरीवाल पर लगातार हमलावर है। दोनों पार्टियों के अलावा कांग्रेस भी दिल्ली में कुंभ की तर्ज पर छठ महापर्व कराने और शारदा सिन्हा के नाम पर जिला घोषित करने की बात कर रही है।
दिल्ली की उत्तम नगर, किराड़ी, बुराड़ी, संगम विहार, त्रिलोकपुरी और समयपुर बादली जैसी सीटों पर पूर्वांचल मतदाता अहम भूमिका निभाने वाले हैं। यूपी-बिहार से आने वाले मतदाताओं को साधने के लिए छह पार्टियां सियासी तौर पर मुखर हैं। जिसमें आप, कांग्रेस, बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू और लोजपा-आर जैसी क्षेत्रीय पार्टी शामिल हैं।
पूर्वांचली वोटरों का साधने के लिए आम आदमी पार्टी ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने का मामला उठाया है। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि पिछले चुनाव में बीजेपी ने कच्ची कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी लेकिन पार्टी अब इससे मुकर रही है।
इसके इतर बीजेपी पूर्वांचली वोटरों को लेकर अरविंद केजरीवाल के बयान को मुद्दा बना रही है। बीजेपी का कहना है कि आप पूर्वांचल मतदाताओं को सम्मान नहीं दे रही है। वहीं कांग्रेस इस पूरे मामले में पूर्वांचलियों के मशहूर छठ पर्व को मुद्दा बनाने के प्रयास में लगी है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता किस पार्टी पर भरोसा जता पाती है।
पूर्वांचल मतदाताओं को साधने के लिए आप ने संजीव झा, अनिल झा, दिनेश मोहनिया, अवध ओझा और गोपाल राय को टिकट दिया है। दूसरी तरफ बीजेपी ने बिहार और यूपी के बड़े नेताओं को काम पर लगाया है। वह गली-गली में जाकर पार्टी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं।