दिल्ली की सत्ता पर करीब 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस अपने सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए लड़ रही है। अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक उदय के बाद पार्टी दिल्ली के चुनावी मैदान में हाशिए पर पहुंच गई है।
दिल्ली में कैसे कमजोर होती गई कांग्रेस आंकड़े कर देंगे हैरान , जानें AAP-BJP के खिलाफ कितनी मुश्किल होगी लड़ाई
दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है जिसके लिए सभी राजनीतिक दल अपना पूरा दमखम लगा रहे हैं। ताबड़तोड़ रैलियां, जनसभाएं और चुनाव प्रचार सियासी जंग को धार दे रहा है। दिल्ली की सत्ता पर करीब 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस अपने सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए लड़ रही है। बता दें कि अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक उदय के बाद पार्टी दिल्ली के चुनावी मैदान में हाशिए पर पहुंच गई है।
दिल्ली के बीते दो चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किए हैं। लेकिन बीजेपी के वोटों में बड़ी सेंध नहीं मार सकी। दूसरी तरफ कांग्रेस सीटों के साथ-साथ वोटों के मामले में बहुत बुरी स्थिति में रही है। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका। जिसकी वजह से इस बार कांग्रेस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है।
कांग्रेस पार्टी ने साल 1993 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 42 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट हासिल किए थे। वहीं 1998 में पार्टी 42 से घटकर 34 प्रतिशत पर सिमट गई। जिसके बाद पार्टी ने साल 2003 और 2008 में सुधार किए और 35.2 प्रतिशत और 36.3 प्रतिशत आंकड़े तक पहुंची। लेकिन 2013 में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने बाजी पलट दी और कांग्रेस को 12 प्रतिशत वोट गंवाने पड़े।
साल 2015 में आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। वहीं कांग्रेस पहली बार इकाई अंक पर आ गई। वहीं कांग्रेस 2020 के चुनावों में 4.3 प्रतिशत वोट पर आ गई। इसके अलावा केजरीवाल को भी 2020 के चुनाव में 0.7 प्रतिशत वोट का घाटा हुआ। जिसका फायदा बीजेपी को हुआ और पार्टी ने 2020 चुनाव में 38.6 प्रतिशत वोट प्राप्त किए जो पिछले दो चुनावों की तुलना में बेहतर थे।
साल 2020 के चुनावों में कांग्रेस 66 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी जिसमें से वह किसी भी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नहीं रही। वह सिर्फ तीन सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी थी। जिसमें गांधी नगर, देवली और कस्तूरबा नगर सीट शामिल थी। कांग्रेस को इन तीनों सीटों पर 20 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं जिन सीटों पर कांग्रेस का वर्चस्व हुआ करता था उन सीटों पर भी वह जमानत नहीं बचा सकी थी।
दिल्ली चुनाव में इस बार कांग्रेस बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के खिलाफ भी लड़ रही है। इसके लिए पार्टी ने अपना पूरा दमखम लगा दिया है। कांग्रेस ने अपने तमाम दिग्गज नेताओं को मैदान में खड़ा किया है। जिसकी वजह से यह मुकाबला और रोचक हो गया है। सियासी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने के लिए कांग्रेस ने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और कालकाजी सीट से अलका लांबा को आतिशी के खिलाफ उतारा है।