ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल, फोटो - सोशल मीडिया
नवभारत डिजिटल डेस्क : दिल्ली में भाजपा की 27 सालों के वापसी के बाद अब पार्टी का अगला मिशन पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को गिराना है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल सरकार की छुट्टी कर दी है। अब भाजपा का अगला टार्गेट पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव है।
बीजेपी पश्चिम बंगाल में हर बार ममता बनर्जी की सियासी बाजीगरी से चकमा खा जाती है। दिल्ली के बाद अगला विधानसभा चुनाव बिहार में है, जहां बीजेपी आज भी नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ सत्ता में है। इसलिए,उसके लिए अब ‘मिशन बंगाल’ उससे भी ज्यादा बड़ा मिशन बन गया है।
बंगाल के भाजपा नेता और राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने दिल्ली चुनाव परिणाम वाले दिन ही नतीजे देखने के बाद कह दिया था कि दिल्ली की जीत हमारी है, 2026 में बंगाल की बारी है। दिल्ली और बंगाल में फर्क ये है कि केजरीवाल को नई दिल्ली सीट पर बीजेपी ने पहली बार मात दी है, लेकिन पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट पर अधिकारी के हाथों ममता 2021 में ही हार चुकी हैं।
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी का बयान इस ओर इशारा करता है कि BJP अब बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी तैयारी के साथ ‘मिशन बंगाल’ जल्द ही लॉन्च करने वाली है।
आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और टीएमसी नेता ममता बनर्जी, विपक्षी दलों के यही दो नेता हैं, जिन्होंने पिछले कुछ समय से पीएम मोदी की सियासी हैसियत को टक्कर देने की कोशिश की है। केजरीवाल तो इस बार के चुनाव में उनका नाम लेकर भी अपनी राजनीति के दांव चलने लगे थे। लेकिन, आखिरकार केजरीवाल अपनी ही गढ़ में चित हो गए। ऐसे में अब सिर्फ ममता ही बची हैं, जिन्हें विपक्ष का ऐसा चेहरा माना जा सकता है, जो प्रधानमंत्री मोदी के कद को टक्कर दे सकती हैं।
बीजेपी के लिए बंगाल खास मायने रखता है। यह बीजेपी की पूर्ववर्ती पार्टी भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म और कर्मभूमि है। केंद्र में 2014 से नरेंद्र मोदी की सरकार है, भारतीय जनता पार्टी के लिए 2016 और 2021 में बंगाल जीतने का का सपना चकनाचूर हो चुका है। पार्टी अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन चुकी है और विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक में सत्ताधारी TMC को टक्कर देने की काम कर रही है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि पश्चिम बंगाल का सियासी परिदृश्य दिल्ली से बिल्कुल अलग है। ममता बनर्जी के पास पिछले करीब डेढ़ दशक से बंगाल की सत्ता की चाबी मौजूद है। 2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन फिर भी ममता ने बड़ी जीत हासिल की थी। अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी 2026 में टीएमसी को मात दे पाएगी?
बीजेपी ने दिल्ली में केजरीवाल की आप सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, प्रशासनिक असफलता और कथित कुशासन के मुद्दों को उठाया था। ठीक इसी प्रकार से बंगाल में भी पार्टी ममता सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, कट मनी और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को उठाकर चुनावी नैरेटिव सेट करने की कोशिश करती आई है। 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बंगाल में हिंदुत्व की राजनीति को और आगे बढ़ा सकती है।
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इसके साथ ही शिक्षक भर्ती घोटाला, नारदा-शारदा घोटाला और अन्य भ्रष्टाचार के मामलों को भाजपा 2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में पेश करने का काम कर सकती है। बंगाल में इस बार बीजेपी को बंगाल में अपने स्थानीय नेताओं को आगे लाना पड़ सकता। बंगाल में मुस्लिम वोट TMC का मजबूत आधार है। बीजेपी इसके लिए हिंदू वोट को पूरी तरह एकजुट करने की कोशिश कर सकती है।