प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट को आधा प्रतिशत घटाकर 6.00 से 5.50 कर दिया है। यह तीसरी कटौती है और अब तक ब्याज दरों में एक फीसदी की कमी कर दी गई है। इससे आवास समेत अन्य सभी प्रकार के कर्ज लेना काफी सस्ता हो जाएगा। इसका फायदा उन्हें मिलेगा, जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लिया हुआ है, लेकिन इसमें भी पेच है। यह राहत सिर्फ उन्हें मिलेगी, जिनके लोन ईबीएलआर मानक से जुड़े हुए हैं। वहीं, एमसीएलआर वाले लोन धारकों को फायदा पाने के लिए ईबीएलआर विकल्प चुनना होगा।
फ्लोटिंग रेट में दो मानक शामिल हैं। पहला एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) और दूसरा है। मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR)
फ्लोटिंग रेट में एमसीएलआर को 2016 में लागू किया गया था। इसका मकसद था कि रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा ग्राहकों तक पहुंचे लेकिन इसमें बैंकों को यह तय करने का अधिकार है कि वे ग्राहकों को कितना राहत देने चाहते हैं। यानी बैंक चाहे तो फायदा सीमित कर सकते हैं। फरवरी और अप्रैल में जब रेपो रेट में कटौती हुई थी तो कई प्रमुख बैंकों ने अपनी बढ़ती ऑपरेशनल खर्च और अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसका पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं दिया था। एमसीएलआर से जुड़े लोन की ब्याज दरों में बदलाव धीमा होता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साल 2019 में इसे लागू किया और फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन को इस एक्सटर्नल मानक से भी जोड़ दिया। इनमें बैंकों का ऑपरेशनल खर्च शामिल नहीं होती। यह मानक रेपो रेट से सीधे जुड़ा है। रेपो में कटौती होते ही बैंकों को ब्याज दर घटानी पड़ती है। यानी जिन लोगों को फ्लोटिंग रेट के तहत ईबीएलआर मानक से जुड़ा कर्ज जारी हुआ है, उनकी ईएमआई में तुरंत कटौती हो जाएगी।
PNB, HDFC समेत इन बैंकों के सस्ते हुए लोन, रेपो रेट कम होने से किसे मिलेगा ज्यादा फायदा