भारत में गरीबी (सौ. सोशल मीडिया)
पिछले एक दशक में भारत ने गरीबी के खिलाफ एक बहुत बड़ी जीत हासिल की है। हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने गरीबी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2011 से 12 में जहां हर 4 में से एक भारतीय बहुत ज्यादा गरीबी में जी रहा था। जिसके बाद 2022-23 में ये आंकड़ा घटकर सिर्फ 5.3 प्रतिशत तक रह गया है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है कि इस दौरान तकरीबन 17 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर रखा है।
रिपोर्ट के अनुसार, अब बहुत गरीब लोगों की पहचान के लिए जो नया पैमाना निर्धारित किया गया है, वो हर रोज 3 डॉलर यानी लगभग 257 रुपये खर्च करने की सीमा तय की है। पहले ये लिमिट 2.15 डॉलर थी। जिसका सीधा मतलब है कि अब साल 2021 की कीमतों के अनुसार, 3 डॉलर हर दिन खर्च करने वाला इंसान अत्याधिक गरीब की कैटेगरी में आता है। इस नई लिमिट के अनुसार साल 2022-23 में भारत की पावरटी रेट 5.3 प्रतिशत रही थी।
साल 2024 तक भारत में तकरीबन 5.44 लोग ऐसे हैं, जो हर दिन 3 डॉलर से भी कम खर्च में जीवन जी रहे हैं। हालांकि ये आंकड़ा पहले की अपेक्षा में बेहद कम है और ये दिखाता है कि हालात में सुधार आ रहा हैं।
गरीबी में आयी इस गिरावट का बड़ा क्रेडिट सरकार की फ्री और रियायती राशच योजनाओं को दिया गया है। इन योजनाओं ने खासतौर पर महामारी के दौरान ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के गरीबों को फायदा मिलेगा।
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वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में ये बताया गया है कि ग्रामीण इलाकों में बहुत ज्यादा गरीबी 1. 4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत रह गई है, जबकि शहरी इलाकों में ये 10.7 प्रतिशत से नीटे गिरकर 1.1 प्रतिशत पर आ गई है। इससे ये बात साफ हो गई है कि गांव और शहर के बीच का अंतर भी पहले से बहुत कम हो गया है, पहले जहां ये अंतर 7.7 प्रतिशत था, अब सिर्फ 1.7 प्रतिशत रह गया है।