डोनाल्ड ट्रंप, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
Trump Tariff on G7 Country: अमेरिका ने जी-7 देशों से रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया है और उन देशों पर टैरिफ लगाने का सुझाव दिया है जो अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। अमेरिकी राजदूत जेमिसन ग्रीर और वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने शुक्रवार को जी-7 के वित्त मंत्रियों के साथ हुई बैठक में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि सहयोगी देशों को रूस की ऊर्जा से होने वाली कमाई को रोकने के प्रयासों को तेज करना चाहिए, क्योंकि यह कमाई यूक्रेन में युद्ध को बढ़ावा दे रही है।
बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि केवल एकजुट होकर ही हम पुतिन की युद्ध मशीन को चलाने वाले राजस्व को रोक सकते हैं। इससे ही हम युद्ध को समाप्त करने के लिए पर्याप्त आर्थिक दबाव डाल पाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका पहले ही उन देशों पर कड़े शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है, जो अभी भी रूसी तेल का आयात कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप की रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद रूस को बातचीत की मेज पर लाना है। अमेरिका ने जी-7 के अन्य देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम से भी इसी तरह के उपाय अपनाने की अपील की है।
इसके अलावा, ग्रीर और बेसेंट ने जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों की उस प्रतिबद्धता का स्वागत किया, जिसमें उन्होंने मौजूदा प्रतिबंधों को और कड़ा करने और रूस से जब्त की गई संपत्तियों का इस्तेमाल यूक्रेन की रक्षा में करने की संभावना पर विचार करने का इरादा जताया। यह बयान उस समय सामने आया जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों के खिलाफ पहले ही कड़े कदम उठाए हैं। बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति ट्रंप के साहसिक नेतृत्व के कारण यह संभव हुआ और जी-7 के साझेदार भी युद्ध को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उम्मीद जताई गई है कि इस संवेदनशील समय में वे निर्णायक कदम उठाने में अमेरिका के साथ सहयोग करेंगे।
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इस अपील के पीछे का कारण यह है कि जी-7 देशों के बीच यह बहस चल रही है कि प्रतिबंधों की कठोरता कितनी होनी चाहिए, ताकि वैश्विक ऊर्जा संकट और खासकर उन विकासशील देशों में जो अभी भी रूस पर निर्भर हैं, को बढ़ने से रोका जा सके। शुक्रवार को ट्रंप ने कहा कि वे रूस पर टैरिफ जैसे आर्थिक उपायों के जरिए “बहुत सख्त” कार्रवाई करेंगे। उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस कदम का असर बैंकों पर प्रतिबंधों के साथ-साथ तेल और टैरिफ पर भी गंभीर रूप से पड़ेगा।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)