अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर संकेत दे दिया है कि वे व्यापारिक साझेदार देशों के लिए यूएस के साथ व्यापार करने और 25 फीसदी टैरिफ से बचने के लिए तय 9 जुलाई की समय-सीमा को संभवत आगे नहीं बढ़ाएंगे। फॉक्स न्यूज के संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स में रविवार, (29 जून) को प्रसारित एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कटऑफ बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा कि मैं कर सकता हूं, यह कोई बड़ी बात नहीं। अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान शुक्रवार को पत्रकारों को दिए गए उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि वे समय-सीमा को कम कर सकते हैं।
इंटरव्यू के दौरान मजाकिया लहजे में ट्रंप ने कहा कि वे सभी को पत्र भेजना पसंद करेंगे- ‘बधाई हो, आप 25 फीसदी टैरिक का पेमेंट कर रहे हैं’। ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में इस अभियान को शुरू की, जिसमें व्यापारिक साझेदारों से अप्रैल के निलंबित टैरिफ को फिर से एक्टिव करने से पहले बातचीत की समय के दौरान घाटे में कटौती करने और रुकावटों को खत्म करने की मांग की गई।
ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने फॉक्स बिजनेस इस बात को स्वीकार किया की कई देश बहुत अच्छी ट्रेड डील लेकर हमारे पास आ रहे हैं। हालांकि, 9 जुलाई तक सभी ट्रेड पार्टनर के साथ समझौते को अंतिम रूप देना आसान नहीं है। उन्होंने बताया की प्रमुख 18 में से 10 या 12 साझेदारों के साथ पहले समझौता किया जा सकता है। ट्रेजरी सचिव का यह बयान राष्ट्रपति के आक्रमक सार्वजनिक रुख और दर्जनों देशों के साथ एकसाथ बातचीत की जटिल वास्तविकता के बीच अंतर को उजागर करती हैं।
हाल में भारतीय अधिकारियों के साथ वॉशिंगटन में कई बैठकें हुईं। भारत को लेकर ट्रंप का कहना था कि वो समझौते के बेहद करीब है। हलांकि, तय समय-सीमाओं तक समझौतों को लेकर कई अहम सवाल बने हुए हैं। अभी तक भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील फाइनल नहीं हुई है। ऐसा कहा जा रहा है कि डेडलाइन नजदीक आने से भारत की परेशानी बढ़ती हुई नजर आ रही है।
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बहुचर्चित यूके व्यापार समझौते में अभी भी कई अनसुलझे मुद्दे हैं, जबकि हाल ही में अमेरिका और चीन के बीच हुई डील में फेंटेनाइल तस्करी प्रवर्तन और अमेरिकी एक्सपोर्टर के लिए बाजार की पहुंच के संबंध में भी फर्क है। ये उदाहरण इस चिंता को रेखांकित करते हैं कि समय-सीमा के दबाव में की गई डील में व्यापकता की कमी हो सकती है।