फॉरेन रिमेंट्स (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में भारत सरकार ने विदेश में पढ़ने वाले बच्चों को एक बहुत बड़ी खुशखबरी दी है। इस बार के बजट में ये फैसला लिया गया है कि बच्चों के कॉलेज फी के लिए लोन लेकर भुगतान करने पर टीसीएस यानी सोर्स पर टैक्स को खत्म कर दिया गया है। पहले साल भर में 7 लाख रुपये से ज्यादा कॉलेज फी भेजने पर 0.5 प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होता था।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई माता पिता 1 साल पहले अपने बच्चों को विदेश में पढ़ने जाने के लिए 10 लाख रुपये भेजता था, तो उसे 5000 रुपये टैक्स के रुप में देने होते थे। बजट में लिए इसे फैसले के बाद सीधे सीधे ये बजट हो जाएगी। अब नया वित्त वर्ष शुरू होने पर अगर आप 10 लाख रुपये अपने बच्चे को भेजते हो, तो आपको इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होगा।
आपको जानकारी दें कि पिछले 1 साल में रुपये की कीमत में 4.78 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। जिसके चलते 1 साल पहले का 10 लाख रुपया आज की तारीख में 10.5 लाख रुपये हो गया है। रुपये की गिरती कीमतों के चलते सरकार का ये फैसला उन माता पिता को राहत दे सकता है, जिनके बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।
इस बजट में लोन लेकर बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजने वालों को राहत मिली है। हालांकि जो माता पिता अपने जीवन भर की संचित पूंजी देकर या जमीन जायदाद या गहने बेचकर बच्चों को विदेश भेजने वालों को इससे किसी भी प्रकार की कोई राहत नहीं मिली है। उन्हें कॉलेज फी के लिए विदेश में पैसा भेजने पर पहले की ही तरह 20 प्रतिशत का टीसीएस कटवाना होगा। लेकिन जो माता पिता बिना लोन लेकर विदेशों में कॉलेज फी भर रहे है, उनको मिलने वाली टीसीएस लिमिट को बढ़ा दिया गया है। सरकार ने इस लिमिट को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया है। जिसका सीधा मतलब है कि अब 10 लाख रुपये तक राशि को विदेश भेजने पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होगा।
टीसीएस रेमिटेंस को सरल भाषा में समझा जाए तो विदेश में पैसे भेजने पर लगने वाला सोर्स पर जमा होने वाला टैक्स है। ये टैक्स विदेश में पैसा भेजने से पहले बैंक या रेमिटेंस सर्विस के द्वारा पहले ही काट लिया जाता है। इस टैक्स को लागू करने के पीछे का इरादा बड़े ट्रांसेक्शन पर नजर रखना और टैक्स चोरी को रोकना है। टीसीएस आमतौर पर विदेश में पढ़ाई, ट्रैवल और निवेश पर लगता है। हेल्थ और एजुकेशन के लिए भेजे गए पैसे को छोड़कर बाकी के कामों के लिए देश मे सालाना 7 लाख रुपये से ज्यादा पैसे भेजने पर 20 टीसीएस लगता था।
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वित्त मंत्री के इस कदम ये विदेश में हाई एजुकेशन को बढ़ावा देकर विकसित भारत को आगे बढ़ाना है। इस बजट में लिए इस फैसले से मिडिल क्लास वर्ग के माता पिता के सपने पूरे होने में बड़ी मदद मिलेगी, जो अपने बच्चे को विदेश भेजकर पढ़ाना चाहते हैं।