Petrol Pump (सौ. Freepik)
नई दिल्ली: ग्लोबल अनिश्चितताओं के चलते कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में इस बात की उम्मीद बढ़ती जा रही है कि देश में जल्द ही सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की जा सकती है। इसका कारण है कि हाल में तेल प्रोड्यूस करने वाले देशों के ग्रुप ओपेक ने तेल की सप्लाई को और भी ज्यादा बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसा कहा जा रहा है कि ओपेक के इस कदम से इंटरनेशनल मार्केट्स में कच्चे तेल की कीमतें घट सकती हैं।
अमेरिकी क्रूड ऑयल के रेट में 2.49 डॉलर यानी 4.27 प्रतिशत की गिरावट आयी है और ये 55.80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। हालांकि ब्रेंट क्रूड ऑयल के प्राइस में 2.39 डॉलर यानी 3.9 प्रतिशत री गिरावट दर्ज हुई है और ये 58.90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है। आपको बता दें कि इस साल क्रूड ऑयल की कीमतों में अब तक की सबसे बड़ी यानी 20 प्रतिशत तक की गिरावट देखने के लिए मिली है।
दरअसल, कच्चे तेल के 8 प्रोड्यूसर देशों के ग्रुप का नेतृत्व करने वाले सऊदी अरब ने शनिवार को इस बात पर हामी जतायी है कि वे जून के महीने में कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाकर 4,11,000 बैरल प्रति दिन कर सकते हैं। सऊदी अरब का ये फैसला ऐसे समय पर आया है जब ओपेक+ देशों ने मई में अपने कच्चे तेल के प्रोडक्शन को बढ़ाने के फैसले से मार्केट को चौंका दिया है।
देश में डीजल की डिमांड में अप्रैल में तकरीबन 4 प्रतिशत की बढ़त हुई है। कई महीने की नेगेटिव या कम बढ़त के बाद अप्रैल में गर्मियों की शुरूआत के साथ डीजल का कंज्पशन बढ़ा है। डीजल देश में सबसे ज्यादा कंज्पशन किया जाने वाला फ्यूल हैं। ये देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर और रूरल एग्री इकोनॉमी की लाइफ लाइन है। 31 मार्च, 2024 को खत्म होने वाले फाइनेंशियल ईयर में डीजल की डिमांड में सिर्फ 2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी और इससे पिछले वित्त वर्ष में डीजल का कंज्पशन में किसी भी प्रकार की कोई बढ़त नहीं हुई थी।
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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस विंग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में डीजल का कंज्पशन बढ़कर 82.3 लाख टन हो गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि से तकरीबन 4 प्रतिशत ज्यादा है। अप्रैल, 2023 की तुलना में कंज्पशन 5.3 प्रतिशत और कोविड से पहले के समय की अवधि यानी 2019 की तुलना में इसमें 10.45 प्रतिशत की बढ़त हुई है।