मंथन फिल्म (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : भारत में अमूल एक ऐसी कंपनी है, जिससे हर कोई परिचित है। अमूल कंपनी की कहानी काफी प्रेरणादायक रही है, लेकिन इसके पीछे की एक कहानी ऐसी है, जिसके बारे में शायद ही आप कुछ जानते होंगे। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इस कंपनी की कहानी को लेकर भी एक फिल्म बनी है, तो आइए इसकी पूरी कहानी जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि आज की तारीख में 80 करोड़ की मार्केट वैल्यू वाली इस कंपनी को बनाने के लिए किसानों से 2-2 रुपये चंदे के रुप में लिए थे। इस ऐतिहासिक फिल्म का नाम था मंथन।
आपको जानकारी दें कि 13 जनवरी 1970 को देश में एक क्रांति की शुरूआत हुई थी, जिसे ऑपरेशन फ्लड या श्वेत क्रांति नाम दिया गया था। इसने इंडियन डेयरी इंडस्ट्री में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे और लाखों ग्रामीण डेयरी किसानों के जीवन को सफल किया था। इसी क्रांति में जन्म हुआ था अमूल कंपनी का, जिसका पूरा नाम आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड था। अमूल एक सहकारी डेयरी है। ये भारत की सबसे बड़ी दूध का उत्पादन करने वाली कंपनियों में से एक है। इस दूध क्रांति को लाने में अमूल का योगदान काफी महत्वपूर्ण हैं।
1970 के दशक में रिलीज हुई फिल्म मंथन ने लोगों को बहुत सोचने पर मजबूर कर दिया था। इस फिल्म की कहानी अमूल और श्वेत क्रांति के बारे में थी। इस फिल्म को बनाने के लिए किसानों से 2-2 रुपये चंदा लिया गया था। उस वक्त के प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने इस फिल्म के लिए 5 लाख किसानों से चंदा जमा किया था। इस फिल्म में स्मिता पाटिल, गिरीश कर्नाड, नसीरुद्दीन शाह और अमरीश पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों ने एक्टिंग की थी। इस फिल्म के को ऑथर डॉ. वर्गिस कुरियन थे, जिन्हें अमूल के फाउंडर के रूप जाना जाता है।
इस फिल्म को बनाने से पहले श्याम बेनेगल इस कहानी पर डॉक्यूमेंटरी बनाने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने इस कहानी पर फीचर फिल्म बनाने का फैसला लिया था। इस तरह मंथन की शुरूआत हुई थी। श्याम बेनेगल ने एक इंटरव्यू में जानकारी दी है कि जब उन्होंने फिल्म बनाने के बारे में सोचा, तो सबसे पहले उनके मन में ये विचार आया था कि इस फिल्म को बनाने के लिए पैसे कहां से लाया जाएं। जिसका हल डॉ कुरियन ने उनको दिया था। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया था कि वे एक दिन के लिए अपने दूध को 6 रुपये में बेचें और इस एक्स्ट्रा 2 रुपये को फिल्म बनाने के लिए दान दें। कुछ इस प्रकार इस फिल्म का बजट तैयार हुआ और ये फिल्म बनी। आपको बता दें कि फिल्म बनने के बाद 1976 में मंथन फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।