गवर्नर गवर्नर संजय मल्होत्रा
नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक में बड़े फैसले लिए हैं। आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की कटौती का ऐलान किया है। एमपीसी बैठक के नतीजों की जानकारी आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी। आरबीआई के इस फैसले से शेयर मार्टेक में हलचल बढ़ गई है। दोनों प्रमुख सूचकांकों में तेजी देखने को मिली है।
एमपीसी बैठक के नतीजे सामने आने के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 350 अंक तक उछाल आया। जबकि निफ्टी 130 अंक चढ़ गया है। इससे पहले बाजार में सुस्ती थी और दोनों सूचकांक लाल निशान पर खुले थे। कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन सेंसेक्स 123 अंकों की गिरावट के साथ 81,318.51 पर खुला था। वहीं, निफ्टी 0.07 फीसदी की गिरावट के साथ 24,732.70 पर कारोबार कर रहा था।
#WATCH आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “इस वर्ष 2025-2026 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान है, जो हमारे पहले के पूर्वानुमान के अनुसार जारी रहेगी, जिसमें पहली तिमाही 6.5%, दूसरी तिमाही 6.7%, तीसरी तिमाही 6.6% और चौथी तिमाही 6.4% रहेगी। जोखिम समान रूप से… pic.twitter.com/MVJSO3yCgg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 6, 2025
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एमपीसी बैठक के बाद कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत ही बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की गई है। यह पिछले पांच महीनों में तीसरी कटौती है। इससे पहले आरबीआई ने फरवरी और अप्रैल में बैठक के बाद 25 आधार अंकों की कटौती का ऐलान किया था। आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती के अलावा CRR में भी 1 प्रतिशत घटाने का फैसला किया है। CRR 4% से घटाकर 3% किया गया है। गवर्नर ने बताया कि CRR में यह कटौती 4 चरणों में की जाएगी।
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार वर्तमान में 691.5 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर है, जो 11 महीने से अधिक की आयात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि देश का बाह्य क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। भले ही शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में आंशिक गिरावट दर्ज की गई हो, इसके बावजूदभी भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है।
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आरबीआई के इस फैसले के बाद ब्याज दरों में सीधे तौर पर गिरावट आ सकती है। इसका फायदा होम लोन और ईएमआई भरने वाले ग्राहकों को मिलेगा। खासकर जो पहले से लोन पर हैं। क्योंकि इस फैसले से ईएमआई का बोझ कम हो जाएगा।