RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा
मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज रेपो रेट में 0.50 बेसिक प्वाइंट कटौती की है। साथ ही उन्होंने बैंकों में विदेशी स्वामित्व को लेकर भी बड़ी बात कही हैं। उन्होंने कहा है कि फिलहाल किसी भी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट में विदेशी स्वामित्व की सीमा 15 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाने का कोई प्रपोजल नहीं हैं।
मल्होत्रा ने यहां आरबीआई हेडक्वार्टर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आरबीआई बैंकों में ओनरशिप फ्रेम और पात्रता मानदंड जैसे अलग-अलग मुद्दों पर फिर से विचार करने की कवायद करेगा। हालांकि, मल्होत्रा ने कहा कि भारत जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था को ज्यादा बैंकों की जरूरत है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हमें ऐसे मालिकों और मैनेजरों की जरूरत है, जो भरोसेमंद हों।
मल्होत्रा ने कहा है कि हम गैर-निवासियों के लिए 15 प्रतिशत की परमिशन देते हैं, और यह मामला-दर-मामला आधार पर 15 प्रतिशत से ऊपर भी जा सकता है। इस सिस्टम में जल्द या तुरंत कोई बदलाव नहीं होने वाला है।
आरबीआई किसी एक विदेशी संस्था को किसी लोन लेंडर में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की परमिशन देता है लेकिन इसमें कुछ अपवाद भी हैं। सीएसबी बैंक में कनाडा की इंवेस्टर्स फेयरफैक्स को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की परमिशन दी गई है तथा हाल ही में जापान के एसएमबीसी को यस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी गई है।
मल्होत्रा ने इसे एक ऐसा गहरा प्रश्न बताया जिसके रिजल्ट पर पहुंचने में समय लगेगा। उन्होंने इशारा दिया कि आरबीआई भविष्य में बैंकों में ज्यादा विदेशी स्वामित्व की अनुमति देने पर विचार कर सकता है। उन्होंने कहा है कि हमने यह भी कहा है कि हम स्वामित्व संरचना और पात्रता शर्तों पर फिर से विचार करना चाहते हैं जिसके तहत नॉन रेसिडेंट के लिए 15 प्रतिशत सीमा की हम फिलहाल जांच कर रहे हैं। यह काम तुरंत नहीं होगा, इसमें समय लगेगा।
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मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जो भी अच्छा होगा, वही फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि निश्चित रूप से, हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, हमें ज्यादा बैंकों की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, यदि स्वामित्व मानदंडों में बदलाव की आवश्यकता होगी, तो हम ऐसा करेंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)