शक्तिकांत दास (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: आज यानी शुक्रवार 6 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति समिति (MPC) यानी कि, मॉनेटरी पॉलिसी की द्विमासिक समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेगा। बीते बुधवार को शुरू हुई तीन-दिवसीय समीक्षा बैठक के दौरान नीतिगत ब्याज दर पर फैसला लिया गया है। यह बैठक महंगाई में बढ़ोतरी और कमजोर जीडीपी आंकड़ों के बीच हुई है।
इस बाबत मौद्रिक नीति के विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक अल्पकालिक उधारी दर यानी कि, रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने का फैसला सतत जारी कर सकता है। हालांकि, मिले-जुले आर्थिक रुझानों को देखते हुए MPC नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में बदलाव करने का फैसला कर सकती है।
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इस बाबत विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताते हुए कहा कि मुद्रास्फीति सहनशील सीमा के ऊपरी स्तर को पार कर गई है, और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि के निराशाजनक आंकड़ों को देखते हुए केंद्रीय बैंक वृद्धि पूर्वानुमान को कम कर सकता है। वहीं रिजर्व बैंक गवर्नर की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4-6 दिसंबर, 2024 को होने वाली है। बैठक के निर्णय की घोषणा आज गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे।
मौद्रिक नीति समिति पर आमतौर पर ऐसा मानना है कि, RBI जल्द ही प्रधान ब्याज दरों को कम करना शुरू कर देगा, लेकिन केंद्रीय बैंक के पास इस बार बहुत कम विकल्प होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर है।
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जानकारी दें कि, बीते रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो दर या लघु अवधि की उधारी दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कुछ राहत फरवरी 2025 में ही मिल सकती है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मुद्रास्फीति और जीडीपी दोनों के लिए RBI के अनुमानों में बदलाव होगा, क्योंकि मुद्रास्फीति अब तक RBI के तीसरी तिमाही के पूर्वानुमान से अधिक रही है और जीडीपी वृद्धि दूसरी तिमाही में उम्मीद से काफी कम रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कि अक्टूबर 2024 में उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति छह प्रतिशत को पार कर गई है। ऐसे में उम्मीद है कि दिसंबर 2024 की बैठक में एमपीसी यथास्थिति बनाए रखेगी।
हालांकि देखा जाए तो भारत में लोगों को फिलहाल लंबे समय से पर्सनल लोन, होम लोन और ऑटो लोन सहित सभी तरह के कर्ज पर ब्याज दरें घटने का इंतजार है। ऐसे में अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो लोन पर ब्याज दरें कम होने का रास्ता खुल जाएगा। लेकिन फिलहाल उसकी उम्मीद कम ही है। (एजेंसी इनपुट के साथ)