पाकिस्तान इकोनॉमी (सौ. सोशल मीडिया )
भारत का पड़ोसी दुश्मन देश जल्द ही बजट जारी करने वाला है। भारत के द्वारा ऑपरेशन सिंदूर किए जाने के बाद ये बजट काफी अहम होने वाला है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी आईएमएफ भी इस बजट पर नजरें गड़ा के बैठा है।
इसकी वजह है कि आईएमएफ ने हाल ही में पाकिस्तान को मोटी राशि दी है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि आईएमएफ पाकिस्तान की इकोनॉमी को सुधारने में भी मदद कर रहा है। ऐसे में बजट आने से पहले पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को तकरीबन 21 बिलियन डॉलर यानी लगभग 6 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का नुकसान हुआ है। आइए इस बारे में विस्तृत रुप से जानते हैं।
पाकिस्तान को अलग-अलग सेक्टरों में टैक्स छूट देने से चालू वित्त वर्ष में 21 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा यानी 6 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का नुकसान हुआ है। ये देश को अपने मैच्योर हो रहे कमर्शियल और बाइलेटरल एक्सटरनल लोन के बदले में चुकाने के लिए 17 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की जरूरत है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने सोमवार को जारी की गई पाकिस्तान की इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट 2024-25 में चालू वित्त वर्ष से जुड़े इकोनॉमिक ग्रोथ एंड इंडिकेटर्स का ब्योरा दिया है। इन डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में टैक्स छूट की कॉस्ट बढ़कर रिकॉर्ड 5800 अरब रुपये हो गई है, जो पिछले वित्त वर्ष के 3900 अरब रुपये से लगभग 2000 अरब रुपये से ज्यादा है।
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कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर के संदर्भ में टैक्स कॉस्ट 21 अरब अमेरिकी डॉलर थी, जो कि पाकिस्तान को सऊदी अरब, चीन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात के मैच्योर हो रहे कमर्शियल एंड बाइलेटरल एक्सटरनल लोन के अंतर्गत, इस वित्त वर्ष चुकाने के लिए जरूरी 17 अरब डॉलर से काफी ज्यादा है। इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, टैक्स एक्सपेंस 1960 अरब रुपये या 51 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज सरकार ने अपने पिछले बजट में कई छूटों को हटा दिया था। टैक्स कंसेशन और एक्सेपंशन को कई बार वापस लेने के बाद टैक्स अमाउंट में हर साल ग्रोथ जारी रही है। सालों से ये स्कीकृत एक्सेंपशन 3 अलग-अलग टैक्स लॉ के अंतर्गत दी जा रही हैं।