RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा
नई दिल्ली: जहां एक तरफ मोदी सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। वहीं वे RBI के 26वें गवर्नर हैं और मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह ले रहे हैं । इसके साथ ही वह आज यानी 11 दिसंबर, 2024 को अपना कार्यभार संभालेंगे। वहीं डॉ। दास RBI के इतिहास में सबसे लंबे समय तक गवर्नर के पद पर आसीन रहने वाले दूसरे स्थान पर रहेंगे।
इस बाबत राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बीते मंगलवार को कहा कि आज यानी 11 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर का पदभार संभालने के बाद वह सभी नजरियों को समझने और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम काम करने की कोशिश करेंगे।
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वित्त मंत्रालय के बाहर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मल्होत्रा ने बीते मंगलवार को कहा कि, ‘‘ किसी को भी (इस पद पर काबिज) क्षेत्र, सभी दृष्टिकोणों को समझना होगा और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम करना होगा।”
जानकारी दें कि, राजस्थान के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी मल्होत्रा के पास बिजली, वित्त तथा कराधान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ सार्वजनिक नीति में तीन दशक से अधिक का अनुभव है। वह ऐसे समय में केंद्रीय बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं जब अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि दर और उच्च मुद्रास्फीति की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है।
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इसके पहले शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मानक ब्याज दर को करीब दो साल तक अपरिवर्तित रखा। मल्होत्रा की छवि सभी के साथ मिलकर काम करने वाली है। वह मानते हैं कि कीमतों को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इसके लिए सरकारी मदद की भी जरूरत है। वह ऐसे समय केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं जब आरबीआई पर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती का दबाव है।
इससे पहले, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में घटकर सात तिमाहियों में सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही है। वहीं अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।
इसके साथ ही बतौर RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के कार्यकाल में कई अहम फैसले होने की भी संभावना है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बैंकिंग सेक्टर में ऑर्टफिशिएल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, डिजिटल करेंसी का विस्तार जैसे मुद्दे हैं। हालांकि RBI ने पहले इन मुद्दों पर आतंरिक विमर्श शुरू किया है।(एजेंसी इनपुट के साथ)