रोजगार (सौजन्य : सोशल मीडिया)
हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च यानी एनसीएईआर की एक नई स्टडी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। एक नई स्टडी के अनुसार, यदि भारत अपनी कुछ खामियों को दूर कर लें, तो साल 2030 तक भारत में 35 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। ये जॉब मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में हो सकती है। हालांकि इसके लिए स्किल डेवलपमेंट और इंवेस्टमेंट में भारी तेजी लानी होगी।
पॉथवेज टू जॉब्स के अनुसार, साल 2017-18 से अब तक भारत की लेबल फोर्स तकरीबन 9 करोड़ बढ़ी है, लेकिन केवल 6 करोड़ नए रोजगार के अवसर बने हैं। हालांकि अभी भी कई सारे लोगों को नौकरी नहीं मिल पायी है। स्टडी कहती है कि आने वाले भविष्य में 28 करोड़ रोजगार सर्विस सेक्टर से आ सकती हैं।
इस रिपोर्ट में ये कहा गया है कि यदि मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में लेबर-इंटेंसिव इंवेस्टमेंट बढ़े हैं, तो एम्पॉयलमेंट दोगुनी हो सकती हैं। हालांकि कई ऐसी समस्याएं हैं, जो इसे रोक रही हैं। सबसे पहले मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की बढ़त रुक गई है। दूसरी समस्या, प्रोडक्शन में लेबर की जरूरत कम होते जा रही हैं। साथ ही तीसरी, स्किल्ड लेबर्स की भी भारी कमी आयी हैं। साल 2018 में ऐसे 92 परसेंट एम्पॉयई के पास किसी भी प्रकार की कोई ट्रेनिंग नहीं थी। साल 2024 तय ये संख्या 65 प्रतिशत हो गई है, लेकिन फिर भी केवल 4 वर्कर्स के पास ही फॉर्मल ट्रेनिंग हैं।
इस स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने वालों की संख्या घट गई है, लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर इसे झेल नहीं पा रहे हैं। हाई-स्किल जॉब्स सर्विस सेक्टर में बढ़े हैं, लेकिन स्किल्स के बीच की गैप अभी भी बहुत बड़ी है। इसे दूर करने के लिए एक्सपर्ट्स ने कुछ सुलाव दिए हैं। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए स्कूलों में वोकेशनल एजुकेशन को बढ़ाना होगा, जहां स्टूडेंट्स एकेडेमिक और स्किल बेस्ड ट्रैक को चुन सकते हैं। साथ ही, सरकार को पब्लिक स्पेंडिंग को भी बढ़ाना चाहिए, टैक्स को भी कम करना चाहिए, इसके अलावा इंवेस्टमेंट के लिए इंसेंटिव देना चाहिए और लेबर रुल को और आसान करना चाहिए।
गूगल को टक्कर देगा NHAI ऐप, बताएगा किस हाईवे पर सबसे कम टोल
इस रिपोर्ट की मानें तो यदि देश में स्किल डेवलपमेंट, इंवेस्टमेंट जैसी स्कीम्स पर काम किया जाता है, तो साल 2030 तक देश में 35 लाख नौकरियों के अवसर मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में पैदा की जा सकती हैं।